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- मोदी की वैश्विक...
आदित्य चौपड़ा। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी राजनीतिक विशेषता यह मानी जाती है कि उन पर जो आलोचना के पत्थर फेंके जाते हैं, वह उन्हें ही इकट्ठा करके ऐसी इमारत बनाते हैं जिससे जन अपेक्षाओं की पूर्ति होने में मदद मिल सके। जाहिर है राजनीति में यह गुण विरल होता है क्योंकि आलोचना से अक्सर आत्मविश्वास हिलने-डुलने लगता है। हालांकि लोकतन्त्र में सत्ताधारी नेताओं की आलोचना स्वाभाविक प्रक्रिया भी होती है क्योंकि शासन से जुड़े सभी अधिकार इनके पास होते हैं परन्तु आलोचना को सहजता से लेते हुए लोक कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करने की ललक राजनीतिज्ञों को जनसेवक का दर्जा देती है परन्तु श्री मोदी में इससे भी ऊपर का गुण यह समझा जाता है कि वह बिना कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किये आलोचनाओं के ढेर को खूबसूरत शिला में परिवर्तित कर देते हैं और फिर उस पर बैठने का जन आमन्त्रण देकर लोगों को सुख का अनुभव कराते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि कोरोना काल के आने से पहले उनकी अनगिनत विदेश यात्राओं की विपक्षी दलों द्वारा जम कर आलोचना की जाती थी मगर कोरोना संकट ने सिद्ध कर दिया कि ये यात्राएं अनर्गल नहीं थीं और इनका एक उद्देश्य था। श्री मोदी ने अमेरिका से लेकर बेलारूस जैसे छोटे देश की यात्रा भी की। उनके आलोचकों ने इसका मजाक तक उड़ाया। मगर वह इससे उदासीन रहे। उनकी उदासीनता को आलोचकों ने अपनी विजय के रूप में भी लिया किन्तु कोरोना काल के शुरू होने पर पिछले वर्ष जब घरेलू स्रोतों से ही इस पर लगभग नियन्त्रण पा लिया गया और शहरों से पलायन करके अपने गांवों को गये प्रवासी मजदूर पुनः अपने गांवों से सड़कों की तरफ आने लगे तो विपक्ष को भी लगने लगा कि कोरोना पर काबू पा लिया गया है और उसने भी सामान्य व्यवहार की तरफ चलना शुरू कर दिया परन्तु विगत मार्च महीने में जब कोरोना की दूसरी तूफानी लहर आयी तो सभी चीजें गड़बड़ाने लगीं। हमारे घरेलू नियन्त्रक स्रोत कम पड़ने लगे। एेसे समय में पूरी दुनिया ने श्री मोदी की सदाशयता का जवाब पूरी सह्रदयता के साथ दिया।