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आदित्य नारायण चोपड़ा: संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी शाही हवाई अड्डे पर इस देश के शासक व राष्ट्रपति शेख मुहम्मह-बिन-जायेद ने सारी औपचारिकताओं को दरकिनार रख कर जिस गर्मजोशी के साथ प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया, उससे अंदाजा लग सकता है कि दोनों देशों के बीच कितने प्रगाढ़ व मधुर सम्बन्ध हैं। संयुक्त अरब अमीरात एक मुस्लिम देश है और इसने कुछ दिनों पहले ही दूसरे अरब मुस्लिम देशों के साथ पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के बारे में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा की गई टिप्पणी पर आलोचना में भी सहभागिता की थी। इसके बावजूद शेक मुहम्मद बिन जायेद ने श्री मोदी का स्वागत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और दोनों देशों के बीच के आर्थिक व सामाजिक सम्बन्धों को और अधिक मजबूत करने के लिए सहमति दिखाई। संयुक्त अरब अमीरात में 35 लाख भारतीय कार्यरत हैं। कोरोना काल के दौरान संयुक्त अमीरात के शासकों ने जिस तरह भारतीय नागरिकों का ख्याल रखा और उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं दीं, उनका उल्लेख भी किया जाना जरूरी है। श्री मोदी ने इसके लिए शेख साहब का धन्यवाद भी किया। यह भी सर्वविदित है कि अबू धाबी में काम करने वाले भारतीय नागरिकों में मुस्लिम समाज के लोगों की संख्या ही काफी है अतः श्री मोदी की उनके प्रति चिन्ता बताती है कि भारत की धरती से बाहर जो भी व्यक्ति होता है वह केवल भारतीय ही होता है और उसकी पहचान उसके धर्म से नहीं होती। संयुक्त अमीरात के साथ दिल्ली में 2014 में श्री मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद आपसी सम्बन्धों में जो खुश गंवार सम्बन्ध बने हैं उनका भी विशेष महत्व है क्योंकि भारत की कथित धर्मनिरपेक्षता पार्टियों द्वारा केन्द्र में बनी भाजपा सरकार की आलोचना का मुख्य बिन्दु भाजपा की हिन्दुत्व की विचारधारा ही रहा करती थी। परन्तु श्री मोदी ने सत्तासीन होने के बाद समस्या अरब मुस्लिम देशों के साथ सम्बन्धों को नई ऊंचाई पर ले जाकर साबित कर दिया कि राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है। यही वजह है कि उन्हें सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश ने भी अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था। संयुक्त अमीरात के नये राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अबू धाबी हवाई अड्डे पर जिस तरह अपने देश के शाही अमले के हुक्मरानों के साथ श्री मोदी के स्वागत में मौजूद रहे उससे ही पूरी दुनिया को यह सन्देश चला गया कि भारत उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसका अंदाजा दोनों देशों के बीच के व्यापारिक सम्बन्धों से भी लगता है। इसी वर्ष के फरवरी महीने में दोनों देशों के नेताओं के बीच वीडियो की मार्फत बैठक हुई थी जिसमें आपसी सम्बन्धों को नई ऊंचाई देने के लिए 'समन्वित रणनीतिक भागीदारी समझौता' हुआ था। इस समझौते पर विगत 1 मई से अमल होना शुरू हुआ। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार व वाणिज्य को नई गति देना है। इस क्षेत्र में हालांकि पहले से ही दोनों देशों के बीच खासी प्रगति हो रही है मगर समझौते के बाद उम्मीद है कि भारत व संयुक्त अमीरात के वाणिज्यक सम्बन्ध नई ऊंचाई छुएंगे। फिलहाल वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों देशों के मध्य 73 अरब डालर का कारोबार हुआ है। भारत एक ओर जहां संयुक्त अमीरात के लिए आकर्षक निवेश स्थल है वहीं भारत के लिए अबू धाबी उत्साह वर्धक निर्यात केन्द्र है। वैसे देखा जाये तो संयुक्त अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा वाणिज्यिक सहयोगी देश है। जबकि भारत में संयुक्त अमीरात का निवेश साल-दर- साल बढ़ रहा है जो अब 12 अरब डालर के आसपास है। फरवरी में हुए समझौते के दौरान दोनों देशों ने शिक्षा से लेकर ऊर्जा स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग करने का प्रण किया था। इन क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच संतोषजनक रूप से सहयोग भी हो रहा है। परन्तु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत व संयुक्त अमीरात का सहयोग उल्लेखनीय है। अब प्राकृतिक ऊर्जा अर्थात पुनर्रीकृत ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है।