सम्पादकीय

मोदी सरकार का ध्यान हकीकत पर नहीं, बल्कि लोगों की धारणा पर

Gulabi
9 March 2021 4:31 PM GMT
मोदी सरकार का ध्यान हकीकत पर नहीं, बल्कि लोगों की धारणा पर
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नरेंद्र मोदी सरकार

यह तो कोई नई जानकारी नहीं है कि नरेंद्र मोदी सरकार का ध्यान हकीकत पर नहीं, बल्कि लोगों की धारणा पर होता है। आरंभ से ही उसने सुर्खियों के मैनेजमेंट पर ध्यान दिया। इसलिए अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक माहौल तक बिगड़ते गए, लेकिन सरकार अपने मीडिया तंत्र से लोगों को बताने में जुटी रही कि सब ठीक है। सिर्फ ठीक नहीं है, बल्कि सब कुछ बेहतर हो रहा है। जो सत्तर साल में नहीं हुआ, वह अब हो रहा है। लेकिन जैसाकि कहा जाता है कि सच बहुत दिनों तक नहीं छिपता। यह भी कहा जाता है कि आप कुछ लोगों को कुछ समय मूर्ख बनाए रख सकते हैं, लेकिन सबको हमेशा ऐसा किए नहीं रख सकते। तो धीरे- धीरे लोग यथार्थ देखने लगते हैं। वही अब हो रहा है। तो इससे सरकार और सत्ताधारी पार्टी परेशान है। विदेशों में छवि बिगड़ी है, तो देश के अंदर भी पहले जो समूह सरकार समर्थक थे, अब वे आलोचक होते जा रहे हैं। तो अपनी समझ के मुताबिक सरकार ने यह सोचा है कि ऐसा कि धारणाओं को ठीक से ना संभालने के कारण हो रहा है। उसकी सोच में यह बात नहीं आई कि धारणाएं इसलिए बदल रही हैं, क्योंकि हकीकत लोगों को ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही है।


बहरहाल, अपनी प्राथमिकता के मुताबिक धारणाएं ना बदलें, इसे सुनिश्चित करने के लिए पिछले दिनों मोदी सरकार ने नौ मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) बनाया। उसकी रिपोर्ट लीक होकर पिछले दिनों मीडिया में छपी। इसमें सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि रिपोर्ट तैयार करने के दौरान हुई बैठकों में कई पत्रकारों ने ही पत्रकारिता जगत को 'निष्क्रिय' करने के सुझाव दिए। इसके तहत पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में बांट कर उन पर 'सरकार विरोधी और सरकारी हितैषी का ठप्पा' लगाने और विरोधियों को निष्प्रभावी करने जैसे कई सुझाव दिए गए। कुल 97 पेज के इस दस्तावेज से ये बात भी निकलकर सामने आती है कि किस तरह पूरे मीडिया को नियंत्रित ना कर पाने के चलते मोदी सरकार चिंतित है। इस नियंत्रण को हासिल करने के लिए उसने कदमों पर विचार किया है। इसी दिशा में विवादित डिजिटल मीडिया नियम लाए गए हैं, जिसने न्यूज पोर्टल्स पर सवाल उठाने के लिए प्रशासन को बेहिसाब शक्तियां दे दी हैं। लेकिन कहा जा सकता है कि ये उपाय कारगर नहीं होंगे, क्योंकि सच का अपना गतिशास्त्र होता है।


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