- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मोदी सरकार का बड़ा कर...
आदित्य चोपड़ा| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक के बाद एक साहसिक फैसले लेकर सबको चौंकाया है। केन्द्र सरकार ने कई ऐसे पुराने कानून निरस्त किए हैं जिनका आज की परिस्थितियों में कोई औचित्य ही नहीं है। कई बार कानूनों में संशोधन करना जरूरी हो जाता है। केन्द्र सरकार ने उस 2012 के आयकर कानून रैट्रोस्पैक्टिव टैक्स एक्ट को खत्म करने का फैसला किया है और इस संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई है। इस रैट्रोस्पैक्टिव कानून के कारण सरकार और वोडाफोन और केयर्न एनर्जी जैसी कम्पनियों से विवाद शुरू हुआ था। वोडाफोन ने इसी कानून को लेकर सरकार के खिलाफ केस दायर िकया था। रैट्रोस्पैक्टिव टैक्स वो टैक्स होता है, जिसके तहत आयकर विभाग कम्पनियों पर टैक्स लगाती है और विभाग उन कम्पनियों से पुरानी डील के भी बकाये की मांग करती है। यह टैक्स खासकर उन विदेशी कम्पनियों के लिए है, जो यहां निवेश करना चाहती हैं। यह कानून 2012 में बना था। उस समय स्वर्गीय प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे। उनका कहना था कि भारत टैक्स हैवन देश नहीं है इसलिए भारत में अगर कोई विदेशी कम्पनी निवेश करती है तो उसे टैक्स तो चुकाना ही पड़ेगा। तब उन्होंने फाइनेंस एक्ट में बदलाव कर दिया। इस कानून के लागू होते ही आयकर विभाग वोडाफोन और केयर्न जैसी कम्पनियों से टैक्स वसूली के लिए हाथ धोकर पीछे पड़ गया। वोडाफोन ने 2007 में हच को खरीदकर भारतीय बाजार में एंट्री की थी।