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- मोदी सरकार को विपक्ष...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट एक फरवरी को आ रहा है। इस बजट की ओर लोगों की निगाहें इसलिए अधिक हैं, क्योंकि यह तब आ रहा, जब भारत महामारी कोविड-19 से निपटने में लगा हुआ है। इस महामारी के चलते भारत में करीब चार महीने लॉकडाउन रहा। इस कारण अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई, लेकिन जैसा कि अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि उसमें तेज उछाल आएगी, वैसा ही हो रहा है। उम्मीद है बजट में उस नुकसान की भरपाई के विशेष प्रविधान किए जाएंगे, जो कोरोना काल में हुआ। सरकार को यह देखना होगा कि उसका घाटा भी नियंत्रित रहे और सामाजिक योजनाओं के लिए धन की कमी भी न हो। अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई के लिए टैक्स की दरें असामान्य रूप से नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। ऊंची टैक्स दरें काली कमाई को बढ़ावा देती हैं। बेहतर होगा कि सरकार कोविड काल में हुए घाटे को यथासंभव वहन करे और ज्यादा ध्यान अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने पर दे। यह अच्छा है कि आर्थिक सर्वे में खर्च बढ़ाने के संकेत दिए गए हैं, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह अपना हाथ उन तमाम उद्योगों से खींचे, जिन्हें वह अभी भी चला रही है। सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की प्रक्रिया को गति दी जानी चाहिए, क्योंकि मुक्त बाजार के दौर में इसका औचित्य नहीं कि सरकार खुद उद्योग चलाए। उसका काम तो उद्योगों के संचालन के तौर-तरीके तय करने और उनकी निगरानी तक सीमित रहना चाहिए। यह विडंबना है कि एक के बाद एक सरकारें विनिवेश की बात तो करती रहीं, लेकिन सार्वजनिक उपक्रमों से हाथ खींचने से बचती भी रहीं। इसी का नतीजा है कि सरकार एयर इंडिया जैसे उपक्रम चला रही है। इसी तरह अन्य अनेक उपक्रम केंद्र या राज्य सरकारों के नियंत्रण में हैं।