- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मोदी मंत्रिमंडल का...

आदित्य चोपड़ा| मोदी मंत्रिमंडल में आज हुए फेरबदल को महाविस्तार या महापरिवर्तन भी कहा जा सकता है क्योंकि एक दर्जन से अधिक मन्त्रियों को सरकार से बाहर करके 36 नये मन्त्रियों को शामिल किया गया हैऔर सात राज्यमन्त्रियों का औहदा बढ़ा कर उन्हें कैबिनेट स्तर का मन्त्री बनाया गया है। सरकार से बाहर जाने वालों में सबसे ऊपर नाम स्वास्थ्य मन्त्री डा. हर्षवर्द्धन का लिया जायेगा जो कोरोना संक्रमण दौर में खासे विवादित हो गये थे। इसके साथ ही सूचना व प्रसारण मन्त्री प्रकाश जावडेकर को भी बार का रास्ता दिखा दिया गया है और शिक्षामन्त्री रमेश पोखरियाल को घर बैठा दिया गया है। आश्चर्यजनक यह भी है कि कानून व सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्री रवि शंकर प्रशाद का बिस्तर भी गुल कर दिया गया है। इसके साथ ही कर्नाटक के पूर्व मुख्यमन्त्री रहे रसायन व उर्वरक मन्त्री सदानन्द गौड़ा को भी आराम करने के लिए कहा गया है। इससे कम से कम यह निष्कर्ष निकलता ही है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी अपने मन्त्रियों से परिणाम चाहते हैं और जिसमें असफल पाये जाने पर उन्हें पद मुक्त करने में कोई संशय नहीं होता। लोकतन्त्र में सरकार की सफलता के लिए मन्त्रियों का योग्य होना बहुत जरूरी होता है मगर इस योग्यता का किताबी डिग्रियों से कोई लेना-देना नहीं होता बल्कि जमीनी ज्ञान से लेना-देना होता है जिसके बूते पर लोकतन्त्र चलता है। जन अपेक्षाओं पर खरा उतरना किसी भी सरकार की कसौटी होती है और इसके लिए उसके प्रत्येक मन्त्री को लोगों के दिलों में झांक कर लोक कल्याण के फैसले करने होते हैं।
