सम्पादकीय

क्या प्रतिभा तुरुप का पत्ता साबित होंगी?

Rani Sahu
27 April 2022 7:00 PM GMT
क्या प्रतिभा तुरुप का पत्ता साबित होंगी?
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हिमाचल में आने वाले विधानसभा चुनाव बहुत दिलचस्प होते जा रहे हैं

हिमाचल में आने वाले विधानसभा चुनाव बहुत दिलचस्प होते जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना कर यह संदेश दिया है कि एक मौका और लिया जा सकता है, स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को जीत में बदलने का। प्रतिभा सिंह पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं और मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा उपचुनाव जीत कर आई हैं। वीरभद्र सिंह के जाने के बाद हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अच्छे नेतृत्व का अकाल पड़ गया था। उसकी वजह साफ थी कि वीरभद्र सिंह ने किसी नेता को इस काबिल ही नहीं समझा कि उनके बाद वह पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ सके। आनंद शर्मा, जो कांग्रेस की कई सरकारों में केंद्र में मंत्री रहे और सोनिया तथा राजीव गांधी के करीबी माने जाते हैं, हिमाचल में जमीनी तौर पर कभी जुड़ ही नहीं पाए, भले ही वह हिमाचल प्रदेश की छात्र राजनीति से आए हों। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने राजा वीरभद्र सिंह के अगुवाई में लड़ा था। कांग्रेस पार्टी जीत नहीं सकी थी। हिमाचल के कई हिस्सों में मैंने उस समय देखा कि उनकी अपनी एक व्यक्तिगत छवि है, जिसे लोग पसंद करते हैं।

बढ़ती उम्र और अच्छा स्वास्थ्य न होने के बावजूद उन्होंने सोलन, मंडी तथा दूसरे जिलों में रैलियां की, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सफल चुनावी रणनीति के कारण कांग्रेस जीत के निशान तक नहीं पहुंच पाई। इस बार हिमाचल में होने वाले चुनाव बिल्कुल अलग हैं। संघर्ष त्रिकोणीय है। आम आदमी पार्टी ने यह घोषणा की है कि वह हिमाचल में अपनी जीत दर्ज करेगी। पंजाब में चुनावों में मिली अभूतपूर्व सफलता ने पार्टी की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी ने मिशन रिपीट की घोषणा कर पूरी ऊर्जा हिमाचल पर केंद्रित कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल के लिए अलग चुनाव रणनीति तय की है। जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल से ज़मीनी तौर से जुड़े हैं और उन्होंने केंद्र में मंत्री रहते हुए और उसके बाद पार्टी का अध्यक्ष रहते हुए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए बहुत काम किए हैं। उनमें सबसे बड़ा काम बिलासपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना है, जो आने वाले कुछ महीनों में प्रदेश को पूरी तरह से समर्पित कर दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के पास सिर्फ यही मौका है कि वह भारतीय जनता पार्टी के मिशन रिपीट में बाधा डाले और उन्हें सफल न होने दे। इसलिए कांग्रेस हाईकमान ने प्रतिभा सिंह को हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। प्रतिभा सिंह हिमाचल के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र मंडी का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसमें 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की मानसिकता में फर्क होता है, लेकिन इस बदलते परिवेश में हो सकता है कांग्रेस पार्टी की चाल हिमाचल में चुनावी समीकरण किसी हद तक बिगाड़ दे। उसकी वजह कट्टर कांग्रेस समर्थक, जो राजा वीरभद्र के सालों से समर्थक रहे हैं, उन्हें ही सहानुभूतिपूर्ण वोट डाल दें। प्रतिभा सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने से प्रदेश कांग्रेस के भीतर कुछ नाराजगी हो सकती है, लेकिन सबकी कोशिश रहेगी कि चुनाव में यह बाहर न आए, क्योंकि इनमें से अधिकतर नेताओं को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। प्रतिभा सिंह महिला नेता होने के नाते राजघराने की बहू हैं। उनका वोट के लिए आग्रह शायद मतदाता न टालें।
अगर ऐसा नहीं होता तो वह मंडी संसदीय क्षेत्र से बहुमत से जीत कर संसद में नहीं आती। भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेस की यह चाल थोड़ी कठिनाई तो ज़रूर पैदा करेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले एक महीने में लगभग सभी जिलों का दौरा किया है और लोगों को जितनी सुख-सुविधाओं की घोषणाएं कर सकते थे, की हैं और केंद्र सरकार उन्हें पूरी सहायता भी दे रही है, मिशन रिपीट को पूरा करने के लिए। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में फिर से अपनी सरकारें स्थापित करने के बाद हिमाचल में भी मिशन रिपीट करना चाहती है। उधर आम आदमी पार्टी का केवल यह उद्देश्य है कि हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार न बनने दी जाए। जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने मंडी तथा कांगड़ा के शाहपुर में रैली और रोड शो कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश की है, उससे एक बात तो तय है कि वे इस चुनाव को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। भले ही उनके प्रदेश अध्यक्ष कुछ समय पूर्व भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और उनके पास अभी अध्यक्ष पद के लिए कोई नाम भी नहीं है। कांग्रेस के पास यह आखिरी तुरुप का पत्ता है जो हिमाचल में उन्हें शायद एक उम्मीद की किरण लगा। क्या यह चाल आने वाले चुनावों में खरी बैठेगी, यह हिमाचल का मतदाता तय करेगा। राजनीति में कुछ भी संभव है। प्रतिभा सिंह हिमाचल के दौरों के लिए तैयार हैं। उन्हें पार्टी नेताओं को एकजुट रखते हुए भाजपा के समक्ष एक चुनौती पेश करनी है। राजनीति में भले ही उनका अनुभव कम हो, लेकिन वीरभद्र सिंह की विरासत का वह लाभ उठा सकती हैं।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक


Rani Sahu

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