सम्पादकीय

चीन के खिलाफ गोलबंदी

Gulabi
24 Dec 2020 9:16 AM GMT
चीन के खिलाफ गोलबंदी
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प्रशांत क्षेत्र में ‘क्वैड’ (चतुर्गुट) के गठन में सहयोगी बने नेताओं को लीजन ऑफ द मेरिट सम्मान से सम्मानित किया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एशिया- प्रशांत क्षेत्र में 'क्वैड' (चतुर्गुट) के गठन में सहयोगी बने नेताओं को लीजन ऑफ द मेरिट सम्मान से सम्मानित किया। सम्मानित नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन शामिल हैं। इसे चीन के खिलाफ गोलबंदी की अमेरिकी रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जाना चाहिए। इस गोलबंदी में लगातार ताकत फूंकी जा रही है।

एक ही दिन पहले जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबाउर के साथ ऑनलाइन बातचीत में उम्मीद जताई की 2021 में जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्सेस के साथ संयुक्त अभ्यास में एक जर्मन युद्धपोत भी हिस्सा लेगा। जाहिर है, जर्मनी की इस भागीदारी से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की दक्षिण चीन सागर में मुक्त आवाजाही की कोशिशों को बल मिलेगा। जापान के मुताबिक हाल के वर्षों में बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर की काफी हद तक नाकेबंदी कर दी है।


चीन ने शुरुआत में कहा था कि वह इन द्वीपों पर सेना तैनात नहीं करेगा। लेकिन अब सैटेलाइट तस्वीरों से साफ पता चल रहा है कि कई बड़े द्वीपों पर लड़ाकू विमानों के लिए हवाई पट्टियां बना दी गई हैं और मिसाइलें भी तैनात की गई हैं। वियतनाम, ताइवान, मलेशिया, ब्रुनेई और फिलिपींस दक्षिण चीन सागर के कुछ द्वीपों पर अपना हक जताते हैं। 2016 में द हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) ने ऐसे ही एक सीमा विवाद में फिलीपींस के पक्ष में फैसला सुनाया था।
लेकिन चीन ने यह फैसला नहीं माना। दक्षिण चीन सागर का जहाजों के लिए खुला रहना जापान के लिए बहुत अहम है। खाड़ी के देशों से जापान तक जो भी ईंधन पहुंचता है, वह दक्षिण चीन सागर से ही होकर आता है। दुनिया की 30 फीसदी एनर्जी सप्लाई इसी रूट से होती है। इसीलिए जापान क्वैड का हिस्सा बना है।
ऑस्ट्रेलिया का चीन से टकराव चल रहा है। भारत का चीन से वैर जग जाहिर है। अब य देश अमेरिकी नेतृत्व में चीन को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसमें कोई असामान्य बात नहीं है। विदेशी शक्तियों के लिए जापान के संयुक्त सैन्य अभ्यास की चीन ने आलोचना की है। लेकिन चीन को ये बात चुभी है। उसने कहा है कि जापान अमेरिका और अपने साझेदारों को साथ लाकर चीन के विकास को रोकना चाहता है। लेकिन ऐसे लक्ष्य पूरे नहीं होंगे। लेकिन ये कदम इस इलाके में तनाव जरूर बढ़ा रहे हैं।


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