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- मनसे की सक्रियता

Written by जनसत्ता: तीन हफ्ते के भीतर जिस तरह अजान और लाउडस्पीकर को महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे ने एक चर्चा का मुद्दा बना दिया, यह उनकी लोकप्रियता का प्रत्यक्ष उदाहरण है। मगर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि भाजपा को पूरे राष्ट्र में मनसे की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल तो भाजपा को महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सामने एक वैकल्पिक सिद्धांत खड़ा करने की जरूरत है, जो भाजपा के लिए राज ठाकरे बखूबी कर रहे हैं।
बीते सालों में जिस तरह भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए तीन पार्टियां एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस एक साथ आई थीं, वैसे ही आज महाविकास अघाड़ी गठबंधन को सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा को भी किसी का साथ चाहिए, जो कि अब राज ठाकरे के रूप में मिल रहा है। हालांकि भाजपा का राज ठाकरे के साथ जाना व्यावहारिक नहीं लग रहा है। ये दोनों साथ-साथ कुछ दूर जरूर चल सकते हैं, ताकि शिवसेना को थोड़ा असहज किया जा सके और शायद इसलिए भाजपा चालाकी से केवल उनको बढ़ावा देने वाली बातें कर रही है, खुल कर उनके समर्थन में नहीं उतर रही है।
बहरहाल, भारत की राजनीति में यह महारत केवल भाजपा को हासिल है कि वह जब चाहे, जिस राज्य में चाहे, किसी क्षेत्रीय पाटी का प्रयोग अपने हित के लिए कर सकती है। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि वह ऐसा पंजाब में नहीं कर पाई। कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ इस बार उन्होंने गठबंधन किया, लेकिन इसका बहुत लाभ उसे नहीं मिला।
पिछले दिनों हुई राज ठाकरे की रैली में जिस संख्या में उनके समर्थन पहुंचे, वह उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। एक दौर वह भी था जब मुंबई से शिव सेना या भाजपा का एक भी प्रतिनिधि संसद नहीं पहुंचा था, तब मुंबई मराठियों की है वाला आंदोलन मनसे ने चलाया था। उस दौर में भाजपा और शिव सेना को उसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। अब भारतीय जनता पार्टी तथा मनसे का एक-दूसरे को समर्थन करना, किसी नई राजनीतिक योजना की ओर इशारा करता है। अचानक महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का दुबारा सक्रिय होना कई सवालों को भी जन्म देता है।