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उत्तर प्रदेश पुलिस के इन दिनों होश उड़े हुए हैं। जब प्रशासन को पता चला कि प्रदेश के कुल सवा दो सौ पेशेवर अपराधियों में से सैंतालीस लापता हैं और उनमें से सोलह भूमिगत हो गए हैं
उत्तर प्रदेश पुलिस के इन दिनों होश उड़े हुए हैं। जब प्रशासन को पता चला कि प्रदेश के कुल सवा दो सौ पेशेवर अपराधियों में से सैंतालीस लापता हैं और उनमें से सोलह भूमिगत हो गए हैं, तो उनकी तलाश के लिए आनन-फानन में पैंतीस टीमें गठित कर दी गर्इं। यह सारी कवायद प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मद्दनेजर की जा रही है। वे जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड््डे का भूमिपूजन करने जाने वाले हैं।
इसी क्रम में जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुरक्षा इंतजाम को ध्यान में रखते हुए पेशेवर अपराधियों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की तो सोलह अपराधी लापता पाए गए। पेशेवर अपराधी यानी जिन्हें पुलिस हिस्ट्रीशीटर कहती है, उन पर हत्या जैसे अनेक संगीन अपराधों के मामले दर्ज होते हैं। ऐसे अपराधियों पर पुलिस लगातार नजर रखती है।
कइयों को वह दिन और समय तय करके थाने में हाजिरी देने को कहती है। उनके फोन आदि के जरिए उनकी गतिविधियों की जानकरी ली जाती है। फिर भी उनमें से अगर सोलह अपराधी भूमिगत हैं, उनके बारे में किसी प्रकार का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा, तो स्वाभाविक ही पुलिस के लिए चिंता की बात है। इस तरह अपराधी तभी गायब होते हैं, जब उनके दिमाग में कोई बड़ी घटना अंजाम देने की योजना पल रही होती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अनेक मौकों पर दोहरा चुके हैं कि प्रदेश में अपराधियों की कोई जगह नहीं है। अपराधियों पर नकेल कसने के लिए उन्होंने पुलिस को मुक्तहस्त भी कर रखा है, जिसका नतीजा है कि विभिन्न मुठभेड़ों में अनेक कुख्यात अपराधी मारे जा चुके हैं। इसी को देखते हुए पिछले दिनों जब केंद्रीय गृहमंत्री उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए, तो उन्होंने योगी सरकार की तारीफ करते हुए कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में दूर-दूर तक अपराधी ढूंढ़े नहीं मिलते। हालांकि तब विपक्षी दलों ने अनेक घटनाओं का हवाला देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री के उस बयान पर टिप्पणियां की थीं।
अब सोलह पेशेवर अपराधियों के लापता होने की खबर ने उन्हें फिर से टिप्पणी करने का मौका दे दिया है। अगर सचमुच उत्तर प्रदेश पुलिस इतनी दक्ष और सतर्क है, तो कैसे पेशेवर अपराधी उसकी आंखों में धूल झोंक कर गायब हो गए। यों भी मसला केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा का नहीं है, उनकी सुरक्षा के लिए दक्ष सुरक्षा दस्ता हमेशा तैयार रहता है। समस्या यह भी है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं और उसमें अगर लापता अपराधियों ने अपनी किसी योजना को अंजाम दिया, तो उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार को बीच चुनाव में खासी किरकिरी झेलनी पड़ सकती है।
छिपी बात नहीं है कि चुनावों के दौरान किस तरह राजनीतिक दल अपराधियों की मदद लिया करते हैं। इस मामले में कोई भी राजनीतिक दल दूध का धुला नहीं है। मतदाताओं को डरा-धमका कर अपने पक्ष में करने, पार्टी के लिए धन इकट्ठा करने आदि में ऐसे अपराधी बहुत मददगार साबित होते हैं। यही वजह है कि हर राजनीतिक दल जब सत्ता में होता है, तो ऐसे अपराधियों को खुल कर विचरने का मौका देता है, पुलिस खुद उन्हें संरक्षण देती नजर आती है। उत्तर प्रदेश में यह प्रवृत्ति कुछ अधिक ही देखी जाती है। वहां की पुलिस सत्तापक्ष या संभावित सरकार बनाने वाले राजनीतिक दल का खुलेआम सहयोग करती रही है। इसलिए ऐसा नहीं माना जा सकता कि उत्तर प्रदेश के लापता अपराधी पुलिस की शह के बिना ऐसा कर सके होंगे।
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