सम्पादकीय

टल गई मिसाइल गलती

Rani Sahu
15 March 2022 7:01 PM GMT
टल गई मिसाइल गलती
x
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बेहद नाजुक विवाद बनते-बनते टल गया

भारत और पाकिस्तान के बीच एक बेहद नाजुक विवाद बनते-बनते टल गया। हाल ही में भारतीय सीमा से एक मिसाइल गलती से छोड़ी गई, जो पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर गिरी। मिसाइल में विस्फोटक नहीं थे और न ही वह परमाणु सामग्री सम्पन्न थी। मिसाइल जिस इलाके में गिरी, वहां आबादी भी नहीं थी। गैर-पेशेवर या तकनीकी गलती से मिसाइल चल गई। इस गलती को क्या दर्जा दिया जाए? ऐसी गलती किसी भी स्तर पर की जा सकती है और उसके फलितार्थ भयानक और घातक हो सकते हैं। भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। परमाणु नेटवर्क को भी कुछ तकनीकी कर्मचारी और अधिकारी देखते होंगे! क्या उस स्तर पर किसी तकनीकी गलती की गुंज़ाइश हो सकती है? बहरहाल भारत ने गलती को टालने और छिपाने के बजाय स्वीकार किया और पाकिस्तान को एक लिखित स्पष्टीकरण भेजा। पाकिस्तान ने भी इस गलती पर हंगामा नहीं मचाया और इसे राष्ट्रीय, क्षेत्रीय सुरक्षा से जोड़ कर नहीं आंका।

भारत पाकिस्तान को कह सकता था कि उच्चस्तरीय जांच बिठा दी गई है। उसके निष्कर्ष बता दिए जाएंगे, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। अपने आणविक दायित्व और प्रोटोकॉल के मद्देनजर पाकिस्तान की हुकूमत को अवगत कराया। अपने पक्ष की गलती को गलती कबूल किया और विवाद को सुलगने से पहले ही शांत कर दिया। पाकिस्तानी फौज की प्रतिक्रिया भी एक दिन बाद आई। यदि मिसाइल घातक होती, तो कुछ भी हो सकता था। इसके मायने हैं कि पाक फौज अपनी सीमाई सुरक्षा के प्रति पूरी तरह सतर्क नहीं है। बहरहाल उसने मीडिया को खुलासा किया कि किसी भी तरह का नुकसान और कोई भी हताहत नहीं हुआ है। अलबत्ता यह गंभीर जांच का विषय है। दरअसल भारत-पाकिस्तान के दोतरफा संबंध बेहद खटास और नफरत भरे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय और संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर पाकिस्तान ज़हर उगलते हुए झूठ बोलता रहा है। दोनों देशों के दरमियान राजनयिक रिश्ते भी नगण्य हैं, हालांकि अभी पूरी तरह दरके नहीं हैं। भारत पाकिस्तान के खिलाफ 'आतंकिस्तान' सरीखे संगीन आरोप चस्पा करता रहा है। उसके साक्ष्य भी पेश किए जाते रहे हैं। भारत मुंबई में 26/11 आतंकी हमले और अन्य हत्यारी आतंकी घटनाओं को कभी भी भूल नहीं सकता।
फिर भी पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। यदि मिसाइल चलने की गलती हुई है, तो उसे कबूल किया जाना चाहिए था। भारत ने ऐसा ही किया, नतीजतन दोनों देशों के बीच एक नया विवाद पैदा होने से पहले ही दब गया, लेकिन पाकिस्तान के मेजर जनरल स्तर के सैन्य अधिकारी ने भारतीय पक्ष के प्रति 'गैर-पेशेवर' और 'तकनीकी अक्षमता' सरीखे शब्दों का इस्तेमाल जरूर किया है। भारत फिलहाल खामोश रहकर यह प्रतिक्रिया भी कबूल करता है, लेकिन रखरखाव और तकनीकी खराबी के मद्देनजर हमारी उन इकाइयों की आंखें भी खुलनी चाहिए, जो मिसाइल सरीखे अति संवेदनशील कार्य और जिम्मेदारी से जुड़ी हैं। यह भी सुकूनदेय और अच्छा संकेत है कि आपस में तनावपूर्ण संबंध होने के बावजूद दोनों पक्षों में संवाद की स्थिति अब भी है और विभिन्न चैनलों के जरिए तालमेल भी है। भारत-पाकिस्तान ने 2003 में युद्धविराम समझौता किया था, वह आज 2022 में 'परस्पर लाभदायक' लग रहा है। बेशक युद्धविराम करार के उल्लंघन भी असंख्य बार किए गए हैं। फिलहाल नियंत्रण-रेखा पर पाकिस्तान की हरकतें क्या रही हैं और किस तरह सीमापार से घुसपैठ जारी रही है, उसे एक भिन्न मुद्दा माना जाए। मिसाइल गलती से बहुत बड़ा संकट पैदा हो सकता था।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story