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यह दोगलेपन और बेशर्मी की पराकाष्ठा है कि जिन राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार को यह सूचना दी कि उनके यहां आक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई, उन्हीं के नेता केंद्रीय सत्ता पर यह आरोप मढ़ रहे हैं कि वह सच्चाई को छिपा रही है। ऐसे शरारत भरे आरोप यह जानते हुए भी लगाए जा रहे हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार की भूमिका बस इतनी ही है कि वह राज्यों की ओर से दिए गए आंकड़ों को संकलित कर उन्हें सार्वजनिक करती है। चूंकि स्वास्थ्य राज्य सरकारों का विषय है इसलिए केंद्र के पास यह जानने का कोई उपाय ही नहीं कि किस राज्य में कितने लोग आक्सीजन की कमी से मरे अथवा कोविड महामारी का शिकार बने? इस मामले में तो वह वही बता सकता है, जो राज्यों ने उसे बताया हो। यह कोई ऐसा तथ्य नहीं जिससे विपक्षी दल अनभिज्ञ हों, फिर भी वे राज्य सरकारों के हिस्से का दोष केंद्र सरकार पर मढ़ रहे हैं। आक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में केंद्र सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगा रहे विपक्षी नेता यदि यह समझ रहे हैं कि वे उसे अपने झूठ के कठघरे में खड़ा करके अपनी जिम्मेदारी से बच जाएंगे अथवा राज्य सरकारों की भूमिका को छिपा ले जाएंगे तो यह संभव नहीं। जनता यह अच्छी तरह जानती है कि बीमारी-महामारी अथवा अन्य किन्हीं कारणों से होने वाली मौतों को दर्ज करने का अधिकार राज्यों के पास है।