सम्पादकीय

निर्दोष लोगों की मौत से कशमीर में अल्पसंख्यक फिर सहमे हैं

Gulabi
9 Oct 2021 5:26 PM GMT
निर्दोष लोगों की मौत से कशमीर में अल्पसंख्यक फिर सहमे हैं
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चिनार के पत्ते जब सर्दी से पहले सुर्ख होते जाते हैं तो लोगों को इससे रुहनानियत दिखती है

पवन शर्मा।

चिनार के पत्ते जब सर्दी से पहले सुर्ख होते जाते हैं तो लोगों को इससे रुहनानियत दिखती है एक अलग तरह की खुशबू इन पत्तों की होती है हर कोई इन पत्तों को घंटों निहारता है लेकिन इस बार कश्मीर मे ठंडक की दस्तक के साथ साथ अब चिनार के पत्ते सुर्ख हो तो रहे है ,इस बार ये पत्ते कोई सकून नहीं दे रहे है बल्कि डरा रहे है,


1990 का दौर उनको याद आ रहा है कि एक सप्ताह में ही 7 लोगों की चुन चुन कर आतंकियों ने हत्या कर दी है, मातम और गम मे डूबे हर इसांन को ये समझ नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें ,आखिर अचनाक ऐसा क्या हुआ है कि अचानक जून महीने के बाद इस महीने मे 7 दिन मे 7 लोगों की हत्या. ये सवाल जरूर ऊठ रहा है कि आखिर सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक कैसे नही लगीं.

इससे पहले जून महीने मे तीन लोगों को टारगेट कर कत्ल किया गया था फिर अगस्त मे दो लोगों को भी इसी तरह मारा गया. परंतु अब इस महीने मे 7 दिन मे 7 लोगों को मारा गया है जिसमे कशमीर के सबसे पुराने दवा विक्रेता मक्खन लाल बिद्रू और बिहार से मजदूरी करने कश्मीर आए युवक विरेन्द्र पासवान जो कि एक गोल गप्पे की रेहडी चला कर गुजर वसर कर रहा था उसकी हत्या कर दी.

और बीते कल एक स्कूल को आतंकियों ने निशाना बनाया और दो टीचरों जिसमें स्कूल की प्रिसींपल सुपिंद्रर कौर निवासी अलूची बाद कशमीर और जम्मू निवासी दीपक चंद की हत्या कर दी

जम्मू कशमीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने न्यूज18 इंडिया को बताया कि निर्दोष लोगों की हत्या आतंकियों की दहशत और वहशत का मेल है ये हमला आपसी भाईचार बिगाडने की साजिश है, आतंकी सीमा पार बैठे अपने आकाओं के इशारे पर ऐसा कर रहे है इन्हें जल्द सजा दी जाएगी

केन्द्र सरकार ने 370 हटने के बाद कश्मीर में विकास और शांति के लिए कई पहलें की जिसमें विकास के कार्यो की गति तेज की गई. डीडीसी चुनाव करवाए गए और साथ ही केन्द्र से 60-70 मंत्री कश्मीर पुहंचे और लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी गई है लोगों ने भी सरकार के इस प्रयास को सराहा और कंधे से कंधा मिलाकर इस साल स्वंत्रता दिवस पर कश्मीर में हर स्कूल मे तिरंगा फहरा कर सरकार से यही कहा कि बह सब एक जुटता से आपके साथ है.

वहीं, सुरक्षाबलों की ओर से चलाए गए ऑपरेशन आल आउट से आतंकियों में बोखलाहट तेज होती गई और आखिर उन्होंने आम नागरियों खासकर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, ताकि लोगों में खौफ रहे और जो लोग कश्मीर जाकर नौकरी कर रहे है वह एक बार फिर पलायन करने पर मजबूर जाएं

कश्मीर मे पीएम पैकज के तहत कई कशमीरी पडिंतो और अन्य वर्गो के लोगों को रोजगार मुहैया करवाया गया था एक प्रोसस को पूरा करने के बाद लगभग 4 हजार के करीब लोग कशमीर मे अलग

1990 का दौर उनको याद आ रहा है कि एक सप्ताह में ही 7 लोगों की चुन चुन कर आतंकियों ने हत्या कर दी है, मातम और गम मे डूबे हर इसांन को ये समझ नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें ,आखिर अचनाक ऐसा क्या हुआ है कि अचानक जून महीने के बाद इस महीने मे 7 दिन मे 7 लोगों की हत्या. ये सवाल जरूर ऊठ रहा है कि आखिर सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक कैसे नही लगीं.

अलग विभागों में नौकरी करने गए, लेकिन आतंकियों को सरकार की ये पहल भी खटकने लगी और उन्होंने इन्हीं लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

दीपक चंद जो कि जम्मू के पटोली के निवासी थे उनके भाइयों का कहना है कि तीन साल पहले दीपक की नौकरी कश्मीर मे लगी थी और बह एक स्कूल के बच्चों को पढ़ाते थे उसी स्कूल में आतंकियों ने उस

1990 का दौर उनको याद आ रहा है कि एक सप्ताह में ही 7 लोगों की चुन चुन कर आतंकियों ने हत्या कर दी है, मातम और गम मे डूबे हर इसांन को ये समझ नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें ,आखिर अचनाक ऐसा क्या हुआ है कि अचानक जून महीने के बाद इस महीने मे 7 दिन मे 7 लोगों की हत्या. ये सवाल जरूर ऊठ रहा है कि आखिर सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक कैसे नही लगीं.

की हत्या कर दी. कश्मीर मे वहता इन निर्दोषों का खून चिनार के सुर्ख पत्तों की लाली से काफी ज्यादा लाल है और इससे आम इसांन जो कश्मीर में है बह सहमा हुआ है

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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