सम्पादकीय

म्यांमार में सैन्य बर्बरता

Triveni
22 Jun 2021 4:00 AM GMT
म्यांमार में सैन्य बर्बरता
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म्यांमार में सेना क्रूरता से बर्बरता की तरफ बढ़ रही है। अब खबर यह है कि उसने उन गांवों को जलाना शुरू कर दिया है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| म्यांमार में सेना क्रूरता से बर्बरता की तरफ बढ़ रही है। अब खबर यह है कि उसने उन गांवों को जलाना शुरू कर दिया है, जहां के लोगों ने सैनिक शासन के विरोध में जारी आंदोलन को अपना समर्थन दिया। पिछले हफ्ते एक ऐसे गांव को जलाने की खबर दुनिया भर में चर्चित हुई। उसके मुताबिक मागवे क्षेत्र में स्थित किन मा गांव में आग लगा दी गई। इस गांव की आबादी 800 है। ताजा खबर के बाद अब ये इल्जाम लगा है कि सेना विरोधी आंदोलनकारियों को दंडित करने के लिए गांवों में सामूहिक सजा दी जा रही है। इसी सिलसिले में गांवों में आगजनी की गई है। किन मा में हुई घटना से सेना ने इनकार नहीं किया। उसने सिर्फ यह कहा कि आग उसने नहीं लगाई। आग आतंकवादियों ने लगाई, जिसका दोष उस पर मढ़ दिया गया। लेकिन म्यांमार स्थित ब्रिटिश दूतावास ने गांव की तस्वीरों को ट्विट किया।

ब्रिटिश राजदूत दान चुग ने कहा कि मागवे में सेना द्वारा पूरे गांव को जला देने की खबर मिली है, जिसमें बुजुर्गों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि ये घटना फिर दिखाती है कि सेना भयानक अपराध करने में जुटी हुई है और म्यांमार की जनता के लिए उसके मन में कोई सम्मान नहीं है। उस गांव से आई तस्वीरों में देखा गया कि पूरा इलाके घने धुएं में डूब गया था। चारों तरफ जली हुई लकड़ियां, ईंट, रसोई घर के सामान आदि बिखरे हुए थे। पशुओं की लाशें भी जहां तहां बिखरी हुई थीँ। गांव में सिर्फ कुछ पेड़ खड़े नजर आए। गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने पिछले एक फरवरी को तख्ता पलट दिया था। उसने नव निर्वाचित सरकार के सत्ता संभालने से कुछ ही घंटों के पहले ये कदम उठाया। सेना ने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में धांधली हुई। तख्ता पलट होते ही देश में बड़े पैमाने पर नागरिकों का विरोध भड़क उठा, जो अब भी जारी है। फरवरी से म्यांमार की सेना सैनिक शासन विरोधी आंदोलनकारियों के साथ क्रूरता से पेश आती रही है। गांवों को जलाना उसका पुराना तरीका है। मानव अधिकार संगठनों के मुताबिक म्यांमार की सेना ने 2017 में सैकड़ों गांवों में आग लगा दी थी। उस समय वह रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ मुहिम चला रही थी। अब ये तरीका बाकी आबादी के खिलाफ अपनाया जा रहा है। जाहिर है, विश्व समुदाय लाचार होकर सब देख रहा है।


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