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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के ऐसे महानायक के रूप में इतिहास में दर्ज हैं जिन्होंने साम्राज्यवाद से मुक्ति पाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाते हुए अंग्रेजों की सैनिक शक्ति का शमन करने की योजना बनाई थी। उनकी आजाद हिन्द फौज द्वारा दिया गया कौमी नारा 'जयहिन्द' भारत की विविध संस्कृति के लोगों को एकता सूत्र में बांधे रखने का वह 'रसायन' था जिसमें भारत के बहुधर्मी लोग निजी पहचान भूल कर राष्ट्रीय पहचान में समाहित हो जाते थे। इसके साथ ही देश की आजादी के लिए वैचारिक स्तर पर पृथक संघर्ष मार्ग अपनाने वाले महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' की उपाधि देने वाले भी नेताजी पहले व्यक्ति थे। अतः नेताजी की 125वीं जयन्ती के अवसर पर राजनीति करना उनके व्यक्तित्व के अनुकूल नहीं कहा जा सकता। सवाल यह नहीं है कि उनके नाम पर स्वतन्त्र भारत में कितने स्थलों का नामकरण किया गया, सवाल यह भी नहीं है कि उनकी कितनी प्रतिमाएं स्थापित की गईं बल्कि असली सवाल यह है कि उनके विचारों को सत्ता के संस्थानों ने कितना अंगीकार किया? 23 जनवरी को कोलकोता में नेता जी के सम्मान में जो भी कार्यक्रम आयोजित किये गये उनका एकमात्र उद्देश्य भारत की स्वतन्त्रता व अखंडता को अक्षुण बनाये रखने का होना चाहिए था और इसके लोगों की सत्ता में सहभागिता को मजबूत करने का होना चाहिए था।