सम्पादकीय

केंद्र में मध्यावधि चुनाव

Rani Sahu
30 Aug 2023 7:02 PM GMT
केंद्र में मध्यावधि चुनाव
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By: divyahimachal
क्या आम चुनाव अपने तय समय से पहले दिसंबर-जनवरी में कराए जा सकते हैं? यह एक महत्त्वपूर्ण सवाल है, क्योंकि पूरे देश को नया जनादेश देना है। हालांकि सरकार और भाजपा के भीतरी संकेत ऐसे नहीं हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी कई बार दोहरा चुके हैं कि वह जनादेश का सम्मान करते हैं, लिहाजा वह पूरी अवधि तक प्रशासन में रहेंगे और चुनाव तय वक्त पर ही कराए जाएंगे, लेकिन विपक्ष के बड़े नेताओं नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने मध्यावधि चुनाव की आशंका जताई है। दोनों क्रमश: बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री हैं। खुफिया सूचनाएं उन तक भी पहुंचती हैं। दोनों नेताओं ने ‘इंडिया’ गठबंधन को जल्द ही एकजुट करने और साझा रणनीति तय करने के आग्रह किए हैं। ममता बनर्जी का इतना दावा भी है कि चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने हेलीकॉप्टर भी बुक कर लिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति हो सकती है कि विपक्षी गठबंधन आकार भी न लेने पाए और चुनावों का शंखनाद कर दिया जाए। विपक्षी नेताओं की दलीलें हैं कि जिस तरह मोदी सरकार ने रसोई गैस का सिलेंडर 200 रुपए सस्ता किया है और ‘उज्ज्वला योजना’ वालों को 400 रुपए सस्ता सिलेंडर मिलेगा। इसी के साथ यह भी घोषणा की गई है कि 75 लाख महिलाओं को ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन और भरा गैस सिलेंडर भी दिए जाएंगे। इससे लाभार्थियों की कुल संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी। यह मोदी सरकार का ही दावा है। इन घोषणाओं को ‘राखी का तोहफा’ प्रचारित किया जा रहा है। बहरहाल भारत में रसोई गैस का सिलेंडर इस्तेमाल करने वालों की कुल संख्या 33 करोड़ से कुछ अधिक है, लिहाजा ‘उज्ज्वला’ के लाभार्थियों की संख्या बेहद महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा, भाजपा नेतृत्व ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में पराजित सीटों पर अभी से उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वे चुनाव प्रचार में भी जुट गए हैं।
दलीलें ये भी दी जा रही हैं कि भाजपा नेतृत्व ने अपने पार्टी काडर को अलर्ट भी कर दिया है और बूथ स्तर के असंख्य कार्यकर्ताओं को गृह मंत्री अमित शाह संबोधित कर रहे हैं। उनसे फोन पर भी संवाद किए जा रहे हैं। दरअसल यह भाजपा की पुरानी रणनीति रही है कि वह चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहती है। इनसे मध्यावधि चुनाव के आसार स्पष्ट नहीं होते, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण सूचना यह है कि जनवरी में मकर संक्रान्ति के आसपास प्रधानमंत्री मोदी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर के एक हिस्से का उद्घाटन करना है। यहीं राम लला की मूर्तियां स्थापित की जानी हैं, लिहाजा वे प्राणवंत मानी जाएंगी। भाजपा इस संवेदनशील और आस्थामय मुद्दे को व्यापक स्तर पर भुनाना चाहेगी, लिहाजा चुनाव अप्रैल-मई के तय वक्त पर ही होंगे। दरअसल ‘इंडिया’ गठबंधन अभी तक एक निश्चित आकार और ताकत ग्रहण नहीं कर सका है। मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को ‘इंडिया’ की बैठकें होनी हैं। देखते हैं कि गठबंधन का अध्यक्ष, संयोजक तय होने के साथ-साथ सचिवालय और सीटों के बंटवारे का शुरुआती फैसला होता है अथवा नहीं। गठबंधन का साझा न्यूनतम कार्यक्रम भी बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री पद का चेहरा फिलहाल तो तय नहीं होगा, क्योंकि अपने-अपने प्रभाव के क्षेत्रों में प्रधानमंत्री पद के लिए अपने-अपने नेता के शोर मचाए जा रहे हैं। संभव है कि नीतीश और ममता चुनाव का हव्वा खड़ा कर दबाव देने की कोशिश कर रहे हों, ताकि तमाम निर्णय जल्द हो जाएं और ‘इंडिया’ का साझा चुनाव प्रचार आरंभ किया जा सके। बहरहाल कारण कुछ भी हों, लेकिन राजनीतिक गलियारों में एक बहस छिड़ गई है कि क्या मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। ऐसे चुनाव कोई अभूतपूर्व और अप्रत्याशित नहीं होते, क्योंकि 1971, 1980, 1984, 1991, 1998, 1999 और 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विभिन्न कारणों से मध्यावधि चुनाव करा चुके हैं। उनकी जीत भी हुई और उनके दल पराजित भी हुए। बहरहाल मौजूदा परिदृश्य बिल्कुल भिन्न है। हम सरकार के निर्णय पर निगाहें रखे रहेंगे। जहां तक विपक्षी गठबंधन में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों का सवाल है, इस विषय में अभी वहां एकता नहीं हो पाई है। कोई कह रहा है कि अरविंद केजरीवाल को पीएम बनाना चाहिए, कोई राहुल गांधी को बनाना चाहता है, तो कोई ममता अथवा नीतीश का नाम भी ले रहा है।
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