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मुंबई हमले में कई अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे
भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में यह जो कहा गया कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ तत्काल और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करे, उसका इस्लामाबाद पर कोई ठोस प्रभाव पड़ना मुश्किल ही है। इसलिए मुश्किल है, क्योंकि इस तरह के बयान पहले भी जारी हो चुके हैं और यह किसी से छिपा नहीं कि नतीजा 'ढाक के तीन पात' वाला ही रहा है।
पाकिस्तान में जैश, लश्कर, हिजबुल जैसे आतंकी संगठनों के सरगना पहले की तरह संरक्षण पा रहे हैं। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि हाल में आतंकी सरगना हाफिज सईद को सजा सुनाई गई, क्योंकि यह एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने की चाल ही लगती है। अमेरिका को यह देखना चाहिए कि मुंबई हमले की साजिश रचने के मामले में इस आतंकी सरगना के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
मुंबई हमले में कई अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे, फिर भी अमेरिकी प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं कि इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी दंडित किए जाएं। इस हमले की साजिश में शामिल रहा एक अन्य आतंकी जकीउर्रहमान लखवी भी छुट्टा घूम रहा है। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित आतंकी मसूद अजहर भी सरकारी संरक्षण में पल रहा है। यह जैश का सरगना है और पठानकोट के साथ अन्य आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। एक अन्य आतंकी सरगना दाऊद इब्राहिम भी पाकिस्तान की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठा रहा है।
अमेरिका इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकता कि पाकिस्तान ने उन शिविरों को बंद नहीं किया है, जहां आतंकियों को प्रशिक्षित कर कश्मीर भेजा जाता है। सीमा पार से आए दिन ड्रोन के जरिये जिस तरह हथियार, विस्फोटक और मादक पदार्थ भारत भेजे जा रहे हैं, उससे यदि कुछ स्पष्ट होता है तो यही कि पाकिस्तान में आतंक के कारखाने अभी भी चल रहे हैं। इसमें संदेह है कि पाकिस्तान में सरकार बदलने के बाद हालात कुछ बदलेंगे, क्योंकि नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कश्मीर राग अलाप रहे हैं। यह अच्छा हुआ कि भारतीय प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई संदेश देते हुए यह साफ कर दिया कि भारत इस क्षेत्र को आतंकवाद से मुक्त होते हुए देखना चाहता है।
इस संदेश का सीधा-सरल अर्थ यही है कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देने से बाज आए। कुछ इसी तरह का संदेश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिया। यदि अमेरिका यह चाहता है कि भारत का उस पर भरोसा बढ़े तो उसे पाकिस्तान को हिदायत देने के साथ ही उसके खिलाफ कुछ कार्रवाई भी करनी होगी। केवल बयान जारी करने से बात नहीं बनने वाली।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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