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अगर पड़ोस के स्तर तक आत्मनिर्भरता नहीं है तो फिर स्वराज क्या है?
पल्लवी रेब्बाप्रागदा
अगर पड़ोस के स्तर तक आत्मनिर्भरता नहीं है तो फिर स्वराज क्या है? विकेंद्रीकृत शासन के गांधीवादी मॉडल के प्रस्तावक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने अपनी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेतृत्व वाली सरकार के माध्यम से स्थानीय अधिकारियों को सत्ता के हस्तांतरण का समर्थन किया है. गोवा से सूरत तक आम आदमी पार्टी ने नगरपालिका चुनावों में जीत हासिल की है और यहां तक कि एक शक्तिशाली केंद्र सरकार के युग के बावजूद भी वह पंचायतों में अपने पैर मजबूत कर रही है. दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक में मिलाने वाले अधिनियम को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई है. लेकिन सबसे बुनियादी सवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सरकार में रहते हुए लगभग 8 साल हो गए हैं, ऐसा क्यों है कि उन्होंने नगर निगम चुनाव से ठीक पहले ही एमसीडी को एक करने का फैसला लिया?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सवाल पूछा, "अगर उन्हें तीनों नगर निगम निकायों को मिलाना ही था तो उन्होंने इतने सालों में क्यों नहीं किया? एमसीडी चुनावों की तारीखों की घोषणा से ठीक 1 घंटे पहले उन्होंने चुनाव आयोग को क्यों लिखा? जबकि एसईसी कई नोटिसों के माध्यम से नगरपालिका चुनाव कराने की तैयारी कर रहा था, जो दिखाता है कि अप्रैल 2022 में 9 मार्च को इसे आयोजित किया जाना था. जिस दिन दिल्ली के तीन नगर निकाय चुनावों की तारीख की घोषणा होनी थी. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से बातचीत के बाद ही इसे टालने का निर्णय लिया गया. शतरंज की राजनीतिक बिसात पर इस वक्त आम आदमी पार्टी बनाम बीजेपी चल रहा है. जहां प्रत्येक चाल प्रतिद्वंदी की अगली चाल को निर्धारित करती है. आम आदमी पार्टी के पास पंजाब में अपने मॉडल को परखने का पहला और बड़ा मौका है, क्योंकि पंजाब एक पूर्ण राज्य है.
आम आदमी पार्टी के लिए जीत का रास्ता साफ था
जाहिर सी बात है एमसीडी चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी और बुलंदियों पर होती, क्योंकि जिस तरह से देश की राजधानी में उसने जन हितैषी, कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी मॉडल को इतनी बड़ी संख्या में सफलतापूर्वक लागू किया है, यह बड़ी बात है. इसके अलावा दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को इतना बेहतरीन बनाया है कि उसने एमसीडी के प्राथमिक स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है. वहीं सत्येंद्र जैन के मोहल्ला क्लीनिकों ने भी एमसीडी डिस्पेंसरियों को काफी पीछे छोड़ दिया है. यह आप के तेजी से काम करने और एमसीडी की अक्षमता के बीच की लड़ाई है.
2021 में हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी ने रोहिणी और शालीमार बाग में सेक्टर 23 सेक्टर 24 में पैठ बनाई. हालांकि ऐतिहासिक रूप से विश्वास नगर और पड़पड़गंज जैसे शहरी कृत निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी को वोट मिला. लेकिन एमसीडी के कुशासन को देखते हुए उपचुनाव में आप को प्रचंड बहुमत मिला. आम आदमी पार्टी के लिए जीत का रास्ता साफ था. लेकिन जिस तरह से तीनों नगर निकायों को क करने की बात आई और उस पर कानून बना, उसने बाजी पलट दी.
आप बहुत तेजी से नगर निकायों पर अपना नियंत्रण बना रही है
बीजेपी के इस कदम को ऐसे देखा जा रहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार पर नजर रखने के लिए नगर पालिका में अपना एक शक्तिशाली मेयर नियुक्त करना चाहती है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम 2021 को अधिसूचित करने के बाद दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल अब इस केंद्र शासित प्रदेश में सरकार के बराबर हैं. अगर यह सच में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की एक राजनीतिक चाल है तो उसके पीछे के कारण भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किए जाने चाहिए. दरअसल बीजेपी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बढ़ती पकड़ और शक्ति को देखकर भयभीत है, क्योंकि आप बहुत तेजी से नगर निकायों पर अपना नियंत्रण बना रही है.
बड़ा सवाल यह है कि क्या सुशासन की भावना से नगर निकायों को अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं की आवश्यकता है? भगवा पार्टी की दिल्ली इकाई पहले से ही केंद्र की सत्ता में मौजूद बीजेपी के लिए बड़ी शर्मिंदगी की वजह रही है. इस बिल के समय और चुनाव में देरी की वजह से वह आसानी से हार सकते हैं. इसे केवल आम आदमी पार्टी के विकास को रोकने के लिए एक हताश प्रयास की तरह देखा जा सकता है. आम आदमी पार्टी अब लंबे समय तक दौड़ में अकेले रहेगी.
Rani Sahu
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