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- मेंटल हेल्थ की चुनौती
नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी किए गए साल 2020 के दौरान आत्महत्या और दुर्घटना में हुई मौतों के आंकड़े इस लिहाज से भी अहम हैं कि पहली बार इनसे कोरोना के आम लोगों के जीवन और खासकर उनके दिलो-दिमाग पर पड़े असर की पुष्टि होती है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने सामान्य जीवन को जिस तरह से तहस-नहस कर दिया था, उसे देखते हुए यह आम धारणा थी कि कमजोर दिल-दिमाग वाले लोगों के लिए इसे सहन करना खासा मुश्किल रहा होगा। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि आत्महत्या के मामलों में 2019 के मुकाबले इस साल 10 फीसदी इजाफा हुआ है। 2020 में आत्महत्या से कुल 153,053 मौतें हुई हैं, जो 1967 के बाद से सबसे ज्यादा हैं। आत्महत्या करने वाले इन लोगों में सबसे ज्यादा संख्या (24.6 फीसदी) दिहाड़ी पर काम करने वालों की है। लॉकडाउन का सबसे मारक प्रभाव इन्हीं लोगों की आजीविका पर पड़ा था। लेकिन अगर पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी का प्रतिशत देखा जाए तो सबसे ज्यादा प्रभावित तबके के रूप में उभरते हैं स्टूडेंट्स। अमूमन हर साल खुदकुशी करने वालों में स्टूडेंट्स 7-8 फीसदी होते हैं, लेकिन साल 2020 में इनका प्रतिशत 21.2 दर्ज किया गया है।