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डॉ. बिमल पटेल एक आर्किटेक्ट हैं जिन्हें शहरीकरण की प्लानिंग को लेकर खास महारथ हासिल है
कार्तिकेय शर्मा। डॉ. बिमल पटेल (Dr Bimal Patel) एक आर्किटेक्ट हैं जिन्हें शहरीकरण की प्लानिंग को लेकर खास महारथ हासिल है. वह व्यवसायिक और ढांचागत योजनाओं की सीमाओं को परे धकेलते हुए ऐसे तरीके खोज रहे हैं जिसके तहत वास्तुकला यानि आर्किटेक्चर, शहरी रचना और शहरी नियोजन मिलकर भारतीय शहरी जीवन को और बेहतर बना सकें. वर्तमान में वह एचसीपी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और साथ ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) के चीफ आर्किटेक्ट भी हैं. भविष्य में शहरों की प्लानिंग और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर टीवी 9 भारतवर्ष ने उनसे विस्तार से बातचीत की है.
सवाल-जवाब
1. फ्रांस ने पेरिस की सबसे भव्य सड़क चैंप्स एलिसीज का मेकओवर करने और उसे भव्य गार्डन बनाने का फैसला किया है. क्या भारत के शहरी क्षेत्रों में भी इस तरह की चीजों पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है?
हां, भारत के शहरी क्षेत्रों में इस तरह की चीजों के लिए पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है, जिससे उन शहरों के प्रति भावनात्मक जुड़ाव बढ़े. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट इसका एक उदाहरण है. इसके दोनों तरफ बने सार्वजनिक उद्यानों का सौंदर्यीकरण करने के लिए राजपथ का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है. दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का केंद्र बिंदु इसे एक सार्वजनिक म्यूजियम के रूप में तैयार करना है. इसके तहत एक बेहद अहम सार्वजनिक जगह को नए रूप में ढाला जा रहा है.
2. सेंट्रल विस्टा के निर्माण के पीछे असल फिलॉसफी क्या है?
हमारा मानना है कि इससे सार्थक बदलाव आएगा, जिसे विरासत और पर्यावरण का हवाला देते हुए नहीं रोकना चाहिए. किसी भी मुश्किल से मुश्किल दिक्कत का समाधान सम्मानजनक और गंभीरता के साथ निकाला जा सकता है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में ऐसी विचारधारा साफतौर पर नजर आती है.
3. शहरी इलाकों में पुनर्निर्माण के दौरान उसके इस्तेमाल और प्रोडक्टिविटी आदि पर भी गौर किया जाता है. सेंट्रल विस्टा से वर्क प्रोडक्टिविटी में कैसे सुधार आएगा?
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से अलग-अलग मंत्रालयों और उनके कामकाज में तालमेल बैठाकर वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी. दरअसल, सभी इमारतें एक-दूसरे के आसपास होंगी और सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से इनकी कनेक्टिविटी बेहद आसान होगी. इससे बेहतर ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा और वर्किंग एनवायरनमेंट में इजाफा होगा.
4. शहरी इलाकों में नई इमारतें बनाने और पुरानी इमारतों के पुनर्निर्माण में एनवायरनमेंट फ्रेंडली आइडिया आप कैसे लागू करेंगे?
पहले से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से इस प्रोजेक्ट में बेहद अहम तरीके से एनर्जी कंजप्शन कम होगा. खेतीबाड़ी में ट्रीटेड पानी का दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को प्रमोट किया जाएगा.
5. पुरानी संसद में एक सप्ताह के दौरान कुछ सौ लोगों को ही आने की अनुमति मिलती थी. क्या यह व्यवस्था ऐसे ही लागू रहेगी?
हां, हकीकत में सेंट्रल विस्टा में वीआईपी के आने-जाने वाले रास्तों को अलग कर दिया जाएगा, जिससे इस इलाके में आम नागरिकों और विजिटर्स को बिना किसी रोक-टोक आने-जाने की सहूलियत मिलेगी.
6. लुटियंस दिल्ली में नजर आने वाले पेड़-पौधे अंग्रेजों ने लगाए थे. इन पेड़-पौधों का दिल्ली के वानस्पतिक इतिहास से कोई ताल्लुक नहीं था. क्या अब नए पेड़ लगाए जाएंगे?
नए पेड़ लगाए जाएंगे, लेकिन ऐसा तभी होगा, जब वर्तमान स्थिति में लगे पेड़-पौधे सूख जाएंगे.
7. नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को म्यूजियम बनाया जाएगा. लेकिन कई पुरानी इमारतों में काफी बदलाव किया जा रहा है. इन्हें यादगार कैसे बनाया जाएगा? क्या इनमें भी नए बदलाव किए जाएंगे या उनके मूलरूप में बरकरार रखा जाएगा?
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को बिना किसी बदलाव के उनकी मूल स्थिति में ही रखा जाएगा. पब्लिक म्यूजियम के रूप में तब्दील करने के लिए इनमें जरूरी काम किया जाएगा.
8. पुरानी संसद की इमारत वृत्ताकार थी, लेकिन नई संसद का आकार ट्रांएगल यानि त्रिभुज की तरह होगा. ऐसा क्यों किया गया?
वर्तमान संसद भवन को देश के काफी लोग पसंद करते हैं. इसे ज्यामितीय आधार पर एक चक्र के रूप में बनाया गया था. नए संसद भवन को डिजाइन करते वक्त पुरानी इमारत की आइकॉनिक संरचना की नकल नहीं की गई. हालांकि, सेंट्रल विस्टा के निर्माण में भी ज्यामितीय आधार को ध्यान में रखते हुए इसे ट्राएंगल के रूप में बनाया जा रहा है, जो विकल्प के रूप में ज्यादा कारगर पाया गया. दरअसल, नई इमारत को ट्राएंगल के आधार पर ही बांटा गया है. इनमें तीन प्राथमिक जरूरतों लोकसभा, राज्यसभा और प्रांगण का ध्यान रखा गया.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के चीफ आर्किटेक्ट डॉ. बिमल पटेल. (Photo Credit: HCP Design)
इसमें ट्राएंगल प्लॉट को इस तरह तैयार किया जा रहा है, जिससे बेहतर तरीके से ज्यादा स्पेस मिलेगा. ज्यामितीय आधार पर देखा जाए तो विभिन्न धर्मों से संबंधित पवित्र इमारतों में भी त्रिकोण यानि ट्राएंगल को काफी अहम माना गया है. इस परिसर के दो रूप नजर आएंगे, जो एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से काम करेंगे. दरअसल, यहां एनेक्सी और लाइब्रेरी दोनों का निर्माण किया गया है, जो लेजिस्लेटिव एनक्लेव के रूप में नजर आएगा.
9. संसद के नए भवन को लेकर वास्तु दर्शन क्या है?
नए संसद भवन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि लोग इससे खुद को जोड़ सकें. वास्तु के हिसाब से देखें तो नई संसद भी वर्तमान गोलाकार इमारत के अनुरूप ही है और दोनों की ऊंचाई एक समान है.
10. क्या आप हमें सेंट्रल विस्टा के लिए चुने गए पत्थरों के बारे में जानकारी दे सकते हैं?
सेंट्रल विस्टा से जुड़ी इमारतों के बाहरी हिस्से पर गुलाबी और पीले रंग के धौलपुर बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है. बाहरी फर्श लाखा ग्रेनाइट से तैयार हो रही है, जो बेहद मजबूत है और इसका इस्तेमाल व रखरखाव काफी आसान है.
11. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए सेंट्रल विस्टा में औपनिवेशिक अथॉरिटी की झलक दिखती है. नया विस्टा किसका प्रतीक होगा?
नया सेंट्रल विस्टा भारत सरकार की लोकतांत्रिक प्रकृति का प्रतीक होगा. इसका वास्तुशिल्प शक्ति का माध्यम बनेगा. इसमें सरकारी कार्यालयों की जगह सार्वजनिक संग्रहालयों को केंद्र बिंदु में रखा गया है.
12. परामर्श प्रक्रिया के दौरान सेंट्रल विस्टा के लिए आपको किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं?
व्यवहारिक तरीकों को लेकर हमें काफी प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिससे विभिन्न इमारतों पर बेहतर तरीके से काम किया जा सके. इस प्रक्रिया में हाउसकीपिंग स्टाफ से लेकर आला अधिकारी तक शामिल थे.
13. काशी धाम कॉरिडोर की सफलता को आप किस तरह देखते हैं?
यह देखकर खुशी होती है कि अधिकांश लोग मंदिर चौक और परिसर की वास्तुकला से बेहद खुश हैं. मंदिर को लेकर दिखा उनका उत्साह काफी संतोषजनक है. यह बेहद अहम है.
14. किसी सार्वजनिक स्थान और धार्मिक स्थल के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में क्या अंतर होता है?
अगर आप किसी भी डिजाइन को समस्या और समाधान की नजर से देखते हैं तो दोनों में कोई अंतर महसूस नहीं होता है.
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