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- मुलाकात एक स्वयंभू...
भूपेंद्र सिंह| बड़े लोगों के खेल भी बड़े होते हैं और उनकी बातें भी, ऐसा मैं दबंगीलाल से मिलकर ही जान पाया। वह हमारे क्षेत्र के एक कुविख्यात खिलाड़ी हैं। उनका असली नाम इतिहास के गर्त में दफन हो चुका है और अब वह पूरे इलाके में दबंगीलाल के नाम से ही पहचाने जाते हैं। दबंगीलाल से मिलकर मैं धन्य हो गया। वह खेलों के इतने शौकीन हैं कि जहां एक तरफ हमारे क्षेत्र की गिल्ली-डंडा की टीम के आजीवन संरक्षक हैं, वहीं दूसरी ओर महिला वालीबाल टीम को भी अपने कब्जे में लेने की खातिर नजरें गड़ाए हुए हैं। उनको इसका पूर्ण विश्वास है कि एक-न-एक दिन सफलता उनके चरणों में लोटती मिलेगी, उसी तरह जिस तरह जब उन्होंने स्थानीय स्टेडियम पर कृपादृष्टि डाली थी तो उसका जीर्णोद्धार करके ही माने थे। इसी के चलते आज उस स्टेडियम के पड़ोस में उनके द्वारा संचालित निजी स्कूल के विद्यार्थियों को एक क्रीड़ागाह हासिल हो गया है।