सम्पादकीय

चिकित्सा क्षेत्र में पर्यटन

Gulabi
3 Jan 2022 5:12 AM GMT
चिकित्सा क्षेत्र में पर्यटन
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हिमाचल की अधोसंरचना में पर्यटन की संभावना को जोड़ेंगे
दिव्याहिमाचल.
हिमाचल की अधोसंरचना में पर्यटन की संभावना को जोड़ेंगे, तो यह क्षेत्र हर पल पूरे प्रदेश को आर्थिकी से जोड़ देगा। अभी हाल ही में हमीरपुर के राष्ट्रीय होटल प्रबंधन संस्थान में एक संगोष्ठी के जरिए हैल्थ पर्यटन की नाभि ढूंढी गई, लेकिन यह खोज हिमाचल के हर पहलू में जिंदा है, बशर्ते पर्यटन राज्य के रूप में यह प्रदेश आगे बढ़ना सीखे। ग्रामीण विकास हो या शहरी विकास विभाग, सारी योजनाओं-परियोजनाओं के निष्कर्ष पर्यटन को विस्तार दे सकते हैं। यहां तक कि मनरेगा की दिहाड़ी से पर्यटन का चक्र गांव-देहात तक को ऊर्जावान बना सकता है। शिक्षा और चिकित्सा दोनों क्षेत्र अपनी अनुभूति में पर्यटन की राह चुन लें, तो एक बड़ा मानचित्र बन सकता है। प्रदेश के कुछ चिकित्सा संस्थान अपनी स्थिति, भौगोलिक दृष्टि और कनेक्टिविटी के लिहाज से हैल्थ टूरिज्म को निमंत्रण देते हैं। विदेशी पर्यटक हिमाचल में आंख व दंत चिकित्सा तथा वांछित उपकरणों पर भरोसा करते रहे हैं और अगर इसी दृष्टि से स्वास्थ्य लाभ के कुछ क्षेत्र चिन्हित किए जाएं, तो आधुनिक चिकित्सा से योग एवं आयुर्वेद तक यह प्रदेश वेलनेस का डेस्टिनेशन बन सकता है।
विडंबना यह है कि पूर्व मंत्री डा. राजीव बिंदल द्वारा योग एवं पंचकर्म विधि की तरफ जिस शिद्दत से पर्यटन को बढ़ाया गया था, उसे भूल कर सरकारें इस उद्देश्य से हटती गईं। इसी तरह शिक्षा के जरिए अध्ययन व शोध की परिपाटी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की नई मंजिलें चुन रही है। कबायली जीवन, सांस्कृतिक परिदृश्य, लोक कलाओं, गीत, संगीत एवं नृत्य के माध्यम से अध्ययन अब एक तरह के पर्यटन की ज्ञान यात्रा से जुड़ता है। हिमाचल में निर्वासित तिब्बत सरकार ने अपनी लाइबे्ररी तथा अलग-अलग प्रतिष्ठानों में कला, गीत, संगीत के संरक्षण को अंतरराष्ट्रीय स्टडी केंद्रों के रूप में सफलतापूर्वक पर्यटन की उड़ान से जोड़ दिया है। ऐसे में हिमाचल के विभिन्न विश्वविद्यालयों को अपने अध्ययन व शोध के कुछ तार अंतरराष्ट्रीय पर्यटन से जोड़ने होंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने धर्मशाला परिसर को तिब्बती तथा बौद्ध स्टडी से जोड़ सके, तो यह पर्यटन की खुशबू को समेट लेगा।
कृषि विश्वविद्यालय एग्रो पर्यटन की तहजीब में शिक्षा व खेती के सुर ऊंचे कर सकता है, तो बागबानी विश्वविद्यालय पर्यटक का सीधा तारूफ फलों से करवाते हुए हर बागबान को पर्यटन का राजदूत बना देगा। पर्यटन का बिजली परियोजनाओं से सीधा रिश्ता कायम करते हुए इनकी बनावट-सजावट और राष्ट्रीय फलक पर योगदान की गाथा मशहूर हो सकती है, तो मत्स्य पालन विभाग को मछुआरों के साथ पर्यटन की किश्ती चलानी चाहिए। यह ग्रामीण आर्थिकी का ऐसा मजमून है जो मछुआरा संस्कृति का अवलोकन करेगा। प्रदेश को अपने विकास के हर कदम के साथ पर्यटन को चिन्हित करने के इरादे जाहिर करने चाहिएं और यह विभागीय लक्ष्य होना चाहिए कि वर्षांत सभी विभाग बताएं कि उनके साथ कितने पर्यटक जुड़े। बहरहाल शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृत महाविद्यालयों के लिए यह भी एक लक्ष्य हो सकता है कि देवभूमि की पूजा पद्धतियों, परंपराओं, मंत्रोच्चारण तथा श्लोकोच्चारण के वैविध्य में नए प्रयोग करते हुए मंदिर आरतियों को नए मुकाम तक पहुंचाएं। हैल्थ टूरिज्म की गुंजाइश में पर्यटक केंद्रों के समीप का चिकित्सा ढांचा अगर वैश्विक स्तर पर उन्नत किया जाए या निजी क्षेत्र के सहयोग से इसे सक्षम बनाया जाए, तो प्रदेश की आबोहवा में इतना नूर है कि स्वास्थ्य लाभ की श्रेणी में हिमाचल अपना एक पैकेज तैयार कर सकता है। पपरोला के आयुर्वेदिक कालेज के साथ-साथ जोगिंद्रनगर व अन्य हर्बल गार्डन को जोड़ते हुए प्रकृति के बिलकुल नजदीक पर्यटक अपनी शारीरिक दुरुस्ती में प्राचीन चिकित्सा पद्धति अपना सकते हैं। इसके लिए एक आदर्श मॉडल कायम करते हुए मार्केटिंग करनी पड़ेगी।
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