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Written by जनसत्ता: स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अब छात्रों को बारहवीं के कम अंक प्रतिशत से चिंतित होने की जरूरत नहीं। सभी छात्रों को प्रवेश में सामान अवसर उपलब्ध कराने और योग्यता के आधार पर प्रवेश देने हेतु यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अंतर्गत संचालित कालेजों में प्रवेश का आधार साझा प्रवेश परीक्षा के प्राप्तांकों को बनाया है। यह प्रशंसनीय कदम है।
पहले डीयू के कालेजों में कट-आफ इतना ज्यादा जाता था कि बारहवीं में कम प्रतिशत वाला छात्र तो उन महाविद्यालयों में प्रवेश की कल्पना भी नहीं कर सकता था। पर अब साझा प्रवेश परीक्षा द्वारा ऐसे छात्रों को भी प्रवेश के समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। वैसे भी महामारी और बंदी के चलते स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई कराई गई है।
विभिन्न शिक्षा बोर्ड विद्यार्थियों के वार्षिक मूल्यांकन के लिए अलग-अलग पद्धतियां अपना रहे हैं, इसलिए बारहवीं के अंकों को प्रवेश का आधार बनाना न्यायसंगत नहीं था। ऐसे में साझा प्रवेश परीक्षा का प्रावधान किया जाना प्रवेश प्रक्रिया को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाएगा।
अब प्रश्न है कि क्या बारहवीं में प्राप्त अंकों की कोई उपयोगिता रहेगी या नहीं? प्रवेश के लिए बनाई जाने वाली मेरिट सूची में प्रवेश परीक्षा के प्राप्तांकों के साथ-साथ बारहवीं के प्राप्तांकों का भी कुछ प्रतिशत मेरिट सूची में सम्मिलित किया जाना चाहिए, ताकि इस कक्षा के अंकों की भी उपयोगिता बनी रहे।