सम्पादकीय

नैस्कॉम की नई रिपोर्ट के मायने: आउटसोर्सिंग कारोबार के समक्ष चुनौतियां

Neha Dani
29 Oct 2021 1:52 AM GMT
नैस्कॉम की नई रिपोर्ट के मायने: आउटसोर्सिंग कारोबार के समक्ष चुनौतियां
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बल्कि देश में नई कार्य संस्कृति भी विकसित करनी होगी।

इस समय जहां एक ओर देश में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) का कारोबार तेजी से बढ़ने और विदेशी मुद्रा की बड़ी कमाई का परिदृश्य दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिंग कारोबार नई डिजिटल तकनीकों से दक्ष प्रतिभाओं की भारी कमी का सामना कर रहा है। नैस्कॉम की नई रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय भारत दुनिया में आउटसोर्सिंग सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत में बीपीओ क्षेत्र में करीब 14 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

भारत के बीपीओ उद्योग का आकार 2019-20 में 37.6 अरब डॉलर (करीब 2.8 लाख करोड़ रुपये) का था, जो 2025 तक 55.5 अरब डॉलर (करीब 3.9 लाख करोड़ रुपये) के स्तर पर पहुंच सकता है। देश में बीपीओ कारोबार बढ़ने के कई कारण हैं। भारतीय मूल के 40 लाख लोग अमेरिका में हैं, जो अमेरिका को रोज अधिक मजबूत बना रहे हैं।
अमेरिका की प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से भी भारत और अमेरिका के बीच आउटसोर्सिंग सहित कारोबारी संबंधों को ऊंचाई मिलने का नया उत्साहवर्द्धक परिदृश्य सामने आया है। सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए जो नए सुधार किए हैं, वे आउटसोर्सिंग को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूरसंचार उद्योग के निजीकरण से नई कंपनियों के अस्तित्व में आने पर दूरसंचार की दरों में भारी गिरावट आई है।
सरकार ने 'वॉयस' बेस्ड बीपीओ यानी टेलीफोन के जरिये ग्राहकों को सेवा देने वाले क्षेत्रों के लिए दिशानिर्देश को सरल, स्पष्ट और उदार बनाया है। इसके तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है तथा अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति सहित कई विशेष रियायतें दी गई हैं। नए दिशानिर्देशों से बीपीओ के तहत ज्यादा कारोबार सुगमता सुनिश्चित हो सकेगी, नियामकीय स्पष्टता आएगी, लागत कम होगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
उच्च कोटि की त्वरित गुणवत्ता पूर्ण सेवा, आईटी एक्सपर्ट और अंग्रेजी में पारंगत युवाओं की बड़ी संख्या ऐसे अन्य कारण हैं, जिनकी बदौलत भारत पूरे विश्व में आउटसोर्सिंग क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है। यद्यपि सरकार के द्वारा भारत को आउटसोर्सिंग का वैश्विक हब बनाने के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत प्रोत्साहन दिए जा रहे है, लेकिन इसे साकार करने के लिए देश में संचार के कमजोर ढांचे को मजबूत बनाना होगा।
एयरपोर्ट, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी संसाधनों का तेजी से विकास करना होगा। कृषि, स्वास्थ्य और वेलनेस, टेलीमेडिसिन, शिक्षा और कौशल के क्षेत्र से संबंधित नए टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस बनाने होंगे। आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में चीन भारत को पीछे करने के लक्ष्य के साथ सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में हमें प्रतिभा निर्माण पर जोर देना होगा। आउटसोर्सिंग से संबंधित विकास और नवाचार को गति देने के लिए न सिर्फ कौशल-विकास में लगातार निवेश करना होगा, बल्कि देश में नई कार्य संस्कृति भी विकसित करनी होगी।
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