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- सर्वे के नतीजों का...
प्रदीप पंडित
जैसे परिवेश का बोध भाषा की क्षमता पर निर्भर करता है वैसे ही राजनीतिक परिकलन जमीनी स्तर तक पहुँचकर वहाँ के समीकरणों की समझ पर निर्भर करता है | इस बार के पांच राज्यों के चुनावों पर इंडिया टुडे-एक्सिस से लेकर एबीपी-सी वोटर तक ने एग्ज़िट पोल दिए | इनमे से दो बड़ी बातें उभरकर आई हैं | पहली उत्तरप्रदेश को लेकर कि वहाँ भारतीय जनता पार्टी को अंदाज़े से ज्यादा नुकसान हो रहा है, फिर भी वह 403 सीटों की विधान सभा में आधे से ज्यादा सीटों का आँकड़ा आसानी से पर कर लेगी | अर्थार्त योगी सरकार की वापसी की उम्मीद है बाबजूद इसके बड़ी बात यह है की पिछले 4 दशकों में उत्तरप्रदेश की कोई भी सरकार दुबारा सरकार नहीं बना सकी है इसलिए वह योगी सरकार का कीर्तिमान होगा फिर भी कुछ एक सर्वे का संकेत है की हो सकता है की योगी पूर्ण बहुमत से थोड़ी दूर ठिठक जाए इसके मन्ये बिलकुल साफ है की जिस तरह की दुंदुभि विपक्ष बजा रहा था कि योगी सरकार के पक्ष में किसान, मजदुर और युवा तथा पिछड़ी जाति के मतदाता नहीं हैं यह पूरी तरह से गलत हो जायेगा मगर इसी तरह भाजपाई खेमे में गाल बजने वाले भी चुनी हुई चुप्पियो में चले जायेंगे क्योकि पार्टी को 2017 जैसा समर्थन नहीं मिलने जा रहा | कांग्रेस तो दहाई अंक को भी नहीं चुने जा रही | अलबत्ता ? कुछ सीटे बसपा को मिलेंगी मगर वह भी पिछले विधान सभा चुनाव के अपने निशान को नहीं छू पायेगी |
2017 मैं भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल करते हुई 312 सीटे जीती थी | इस तरह भाजपा नीत गठबंधन ने कुल 325 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था |
पंजाब बिधान सभा चुनाव को लेकर आकलनों का मात है की वह आम आदमी पार्टी परचम लहरा सकती है यदि ऐसा हुआ तो भारतीय राजनीती में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा इसका अनुवाद यह भी होगा कि आप अकेली ऐसी पार्टी है जो भाजपा और कांग्रेस को रुकने में कारगर साबित हो रही है | इससे उससे राष्ट्रीय क्षितिज पर खिलने मई सुविधा होगी और नए समीकरण बनेंगे | पंजाब में कांग्रेस के दलित कार्ड का बावजूद आने वाले नतीजे उसके लिए गहरा राजनीत सदमा होगा | 2017 में कांग्रेस 77 सीटे जीत कर सत्ता में आयी थी |
उत्तराखंड के लिए विभिन सर्वे आपस में एक मात नहीं है कुछ सर्वे प्रदेश की धामी सर्कार को विजयी बना रहे है तो कुछ कॉग्रेस को सम्भावना जता रहे है | लकिन किसी भी सर्वे ने किसी भी दाल को 40 से अधिक साइट नहीं दी | 2017 की मोदी लहर में यहाँ की 70 सीटों की विधान सभा में 57 सीटे भजपा ने जीती थी कांग्रेस को महज़ 11 सीटे मिली थी |
गोवा में किसी भी एक पार्टी को बहुमत मिलने की सम्भावना नहीं बताई जा रही मज़ा यह है कि तदङ्मूल कांग्रेस को यहाँ कुछ सीटे मिलने के आसार है | यदि ऐसा हुआ तो गोवा का सरदार चुनने में उसकी बड़ी भूमिका होगी |
मणिपुर में भजपा सबसे बड़े राजनितिक दाल के रूप में उभरेगी | पिछली बार यह कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी मगर नागापीपुरुस पार्टी के सहयोग से भाजपा सर्कार बनाने में कामियाब रही थी कुल मिलकर यह चुनाव भाजपा को पिछली बार की तरह विजय नहीं दिला रहे लकिन उससे राज्ये भी नहीं छीन रहे |