- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- गरीबी इंडेक्स के
नीति आयोग की ओर से जारी की गई पहली मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) रिपोर्ट जहां अलग-अलग राज्यों के हालात का ब्योरा देती है, वहीं नीति निर्धारकों के लिए एक नई और बेहतर कसौटी भी मुहैया कराती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 51.9 फीसदी गरीब आबादी के साथ बिहार गरीब राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है औऱ 0.71 फीसदी गरीब आबादी के साथ केरल सबसे नीचे तो अपने आप में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ऊपर और नीचे के कुछ और राज्य देखें तो अपेक्षा के अनुरूप ही बिहार के साथ झारखंड, यूपी और मध्य प्रदेश खड़े मिलते हैं, जबकि केरल के साथ गोवा, सिक्किम और तमिलनाडु। साफ है कि आम लोगों तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने और उनका जीवन स्तर ऊंचा करने के मामले में कुछ राज्यों ने उल्लेखनीय सफलता पाई है, जबकि कुछ अन्य राज्य इस मामले में बहुत पीछे हैं। मगर इसका ठीक-ठीक अंदाजा हमें पूंजी निवेश या प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों से नहीं मिलता। इसीलिए ऐसे खास मानकों की जरूरत होती है, जिससे पता चले कि विभिन्न सरकारों द्वारा शुरू की गई और चलाई जा रही योजनाओं और नीतियों का जमीन पर कैसा और कितना प्रभाव पड़ रहा है, उससे आम नागरिकों के जीवन में किस तरह के और कितने बदलाव आ रहे हैं।