सम्पादकीय

चुनावी जीत के मायने : भाजपा की जीत की गूंज दक्षिण तक, राजनीतिक दलों के लिए एक भारी झटका

Neha Dani
17 March 2022 1:52 AM GMT
चुनावी जीत के मायने : भाजपा की जीत की गूंज दक्षिण तक, राजनीतिक दलों के लिए एक भारी झटका
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कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, यह उत्तर भारत को लेकर द्रमुक का द्वेषपूर्ण रुख है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की भारी जीत दक्षिणी राज्यों के राजनीतिक दलों के लिए एक भारी झटका है, खासकर द्रमुक और तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए। दक्षिणी राज्यों के दो मुख्यमंत्रियों-तमिलनाडु के एम. के. स्टालिन और तेलंगाना के. चंद्रशेखर राव का मानना था कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी योगी आदित्यनाथ को सत्ता से बेदखल कर देगी। इन दोनों ने न तो योगी आदित्यनाथ को बधाई दी और न ही भाजपा को। इन्हें अपने राज्यों में अल्पसंख्यक वोटों के खोने का डर है।

केरल में माकपा की सरकार है, इसलिए वहां से भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की जा सकती। कर्नाटक और पुड्डुचेरी, दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है, इसलिए उन्होंने चार राज्यों में पार्टी की बड़ी जीत का स्वागत किया है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई चुनावी रैलियों में कहा कि डबल इंजन सरकार ने दलितों के लिए बहुत कुछ दिया है, यह संदेश दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु के मतदाताओं के दिमाग में बहुत गहराई तक चला गया है।
हाल ही में संपन्न शहरी निकाय के चुनावों में भाजपा के लिए मतदान प्रतिशत में उछाल आया है। तमिलनाडु में भाजपा अन्नाद्रमुक को साथ लिए बगैर अकेले चुनाव लड़ी। इसे पूरे तमिलनाडु में छह प्रतिशत वोट शेयर के साथ दस लाख वोट मिले। योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करने के लिए कोयंबटूर गए थे। वहां से भाजपा की महिला प्रत्याशी वनति श्रीनिवासन चुनाव जीत गईं।
इसी तरह योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद नगर निगम के लिए प्रचार करते हुए कहा था कि अगर तेलंगाना में भाजपा सत्ता में आती है, तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की वापसी का रास्ता बनाने के लिए द्रमुक गांधी परिवार के तीनों सदस्यों से खफा है। द्रमुक के आधिकारिक समाचार पत्र मुरासोली ने एक संपादकीय में लिखा कि कांग्रेस कमजोर है, और अपने नेताओं को भाजपा में जाने से नहीं रोक पा रही है।
गांधी परिवार को भाजपा की ताकत का मूल्यांकन करना होगा, जैसे द्रमुक ने तमिलनाडु में भाजपा को ध्वस्त कर दिया था। उत्तर प्रदेश कांग्रेस को ठोस प्रयास करना चाहिए था। यह दुखद है कि गांधी परिवार ने कांग्रेस की ताकत को ज्यादा करके आंका। दिलचस्प है कि हाल में राहुल गांधी स्टालिन की जीवनी का विमोचन करने चेन्नई आए थे, तो उन्होंने द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन जारी रखने की बात कही थी। द्रमुक के अखबार के संपादकीय से एम. के. स्टालिन की मानसिकता का पता चलता है।
चार राज्यों में भारी बहुमत पाने के बाद भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोगों की भावनाओं को वोटों में तब्दील किया जाए। इसके लिए एक बड़ी कार्ययोजना तैयार की गई है। दोहरे इरादे के साथ केंद्र की भाजपा सरकार ने एक पूर्व खुफिया अधिकारी बिहारी रवींद्र नारायण रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल नियुक्त किया है। रवि अपने पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र के समकक्षों की तरह निर्वाचित मुख्यमंत्री को परेशान करने के लिए आक्रामक ढंग से काम कर रहे हैं।
हार के बावजूद उत्तर प्रदेश में अखिलेश की समाजवादी पार्टी को अच्छे वोट मिले, लेकिन उत्तर प्रदेश में वंशवादी राजनीति पर हमला करना नरेंद्र मोदी का मुख्य विषय था। यह रणनीति तमिलनाडु के लिए भी उपयोगी है। पिछले साठ वर्षों से करुणानिधि का परिवार सत्ता में है। इसी परिवारवादी शासन परंपरा को अपने जीवन काल में अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता ने भी लागू किया था। परिवारवादी शासन के खिलाफ नारों ने तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है।
दक्षिणी राज्यों के युवा मतदाता मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार द्वारा लाई गई डिजिटल क्रांति और विकास के पहलुओं से आकर्षित हो रहे हैं। 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा विशेष रूप से महिला मतदाताओं के बीच लोकप्रिय है। पिछले छह महीने में मोदी ने लगभग सभी सार्वजनिक संबोधनों में परिवारवाद पर निशाना साधा है। संसद में भी प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीति में परिवारवाद कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है। तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने योगी की जीत का स्वागत किया है।
अन्नाद्रमुक नेता पलानीस्वामी और पन्नीरसेलवम ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बधाई दी है। केरल की नायर सर्विस सोसाइटी ने भी मोदी-योगी की जीत का स्वागत किया है। नायर सर्विस सोसाइटी का वोट शेयर पांच प्रतिशत है। वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन रेड्डी ने भाजपा की जीत की सराहना की, लेकिन राज्य में भाजपा की भूमिका को लेकर वह सतर्क हैं।
इसका कारण वहां भाजपा के पर्यवेक्षक सुनील देवधर हैं, जो आंध्र प्रदेश के सभी जिलों का दौरा कर रहे हैं और 2023 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दक्षिण भारत के छह राज्यों के वरिष्ठ राजनेता और टिप्पणीकार योगी-मोदी की जीत का श्रेय केंद्र सरकार के लोकप्रिय सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों, जैसे उज्ज्वला योजना और दलितों के लिए शौचालय निर्माण को देते हैं।
इन विश्लेषकों का कहना है कि इन पांच राज्यों के चुनाव में महिलाओं से भाजपा की अपील महत्वपूर्ण रही। चुनावी टिकटों से लेकर नौकरियों तक में आरक्षण, सरकारी योजनाओं में अधिक हिस्सेदारी और मुफ्त उपहार वितरण तक, महिलाएं लगभग सभी बड़े दलों के राजनीतिक अभियानों के केंद्र में रहीं। मतदान केंद्रों पर सभी जातियों, वर्गों और धर्मों की महिलाओं की भीड़ लगी रही। हालांकि सभी दलों ने महिलाओं को आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा ही उन्हें अपनी ओर खींचने में सफल रही।
महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा, दंगा मुक्त राज्य के भाजपा प्रचार के साथ-साथ महिलाओं के नाम पर राशन, घर, गैस सिलिंडर का वितरण एवं अन्य लाभों ने लगता है कि महिला मतदाताओं को आकर्षित किया। द्रमुक नेता स्टालिन ने अल्पसंख्यक मतों के खोने के डर से योगी आदित्यनाथ को बधाई नहीं दी, लेकिन पंजाब में जीत के लिए आप के अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को बधाई दी। कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, यह उत्तर भारत को लेकर द्रमुक का द्वेषपूर्ण रुख है।

सोर्स: अमर उजाला

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