सम्पादकीय

नार्थ ईस्ट में बहुत दमदार है मातृसत्तात्मक समाज

Rani Sahu
17 Jun 2022 8:46 AM GMT
नार्थ ईस्ट में बहुत दमदार है मातृसत्तात्मक समाज
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जो लोग यह कह कर अपनी मूंछों पर ताव देते हैं कि वे भारत के पुरुष प्रधान समाज से बिलांग करते हैं

Anand Singh

by Lagatar News
जो लोग यह कह कर अपनी मूंछों पर ताव देते हैं कि वे भारत के पुरुष प्रधान समाज से बिलांग करते हैं, उन्हें एक बार नार्थ ईस्ट के बारे में पढ़ लेना चाहिए. मातृ सत्ता कैसे काम करती है, कितना बढ़िया काम करती है, इसका बेस्ट एग्जाम्पल नार्थ ईस्ट में मिलता है.
बस की बाईं रा महिलाओं के लिए रिजर्व
आप अगर गुवाहाटी में हैं और मां कामाख्या के दर्शन हेतु जा रहे हैं, तो आपको गाइड पहले ही बता देगा-बस की बाईं सीट पर नहीं बैठना है. स्टार्ट से 6 नंबर रा तक. ये सीटें बस में महिलाओं के लिए रिजर्व रहती हैं.
पुरुष घर, महिलाएं दफ्तर संभालती हैं.
अगर आप असम के तिनसुकिया, ग्वालपाड़ा या किसी भी अन्य जिले में जाएंगे, तो आप देखेंगे कि पुरुष घर के कार्य कर रहे हैं. झाड़ू-पोछा से लेकर सब्जी लाने-बनाने तक, बच्चे को तैयार करने से लेकर उसे स्कूल भेजने तक और स्कूल से लाने तक. यह असम की स्थिति है.
अगर आप शिलांग जा रहे हैं तो यह दृश्य आम होगा. वहां महिलाएं नौकरी करती हैं, बाहर का काम करती हैं. पुरुष घर संभालते हैं. घर का काम करते हैं. यह पूरे मेघालय में आपको देखने को मिल जाएगा.
मकान फाइनल तो महिला ही करेगी
अगर आप गुवाहाटी में हैं और किराये का मकान खोज रहे हैं, तो पुरुष तो आपसे बात कर लेगा. फाइनल महिला ही करेगी. क्या किराया होगा, कैसे किराया देना है, उसके घर में कैसे रहना है, वेज-नानवेज खाना बनाना है तो उसका वेस्ट कहां फेंकना है, ये सब आपको घर की महिला ही बताएगी.
पुरुष नहीं, महिला जाती है बारात लेकर
नार्थ ईस्ट के कई इलाकों में यह देखा गया है कि उत्तर भारत के उलट पूर्वोत्तर भारत में पुरुषों की बजाए महिलाएं बारात लेकर जाती हैं. कई जगहों पर पुरुष भी बारात लेकर जाते हैं पर जिस पुरुष की शादी होती है, जहां वह बारात लेकर जाता है, वहीं का होकर रह जाता है. यानी, उसका ससुराल ही अब सब कुछ हो गया. चलती है उसकी पत्नी की. पति को, पत्नी के हिसाब से रहना पड़ता है.


Rani Sahu

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