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- मस्त मलंग शेनवार्न
आदित्य नारायण चोपड़ा: आस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज शेनवार्न का निधन हो जाने की खबर से क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया। उनके निधन से कुछ घंटे पहले चार मार्च को ही आस्ट्रेलियाई क्रिकेट रोडमार्श के निधन की खबर आई थी और शेनवार्न ने रोडमार्श के निधन पर ट्वीट कर शोक व्यक्त किया था। जिन्दगी कितनी अप्रत्याशित है, कुछ पता नहीं कि अगले ही पल क्या हो जाए। कोई नहीं जानता था कि रोडमार्श के निधन पर किया गया ट्वीट शेनवार्न का आखिरी ट्वीट होगा। एक ही दिन में दो दिग्गिज क्रिकेटरों का अवसान दुखद है। रोडमार्श की उम्र 74 वर्ष की थी लेकिन शेनवार्न की उम्र महज 52 वर्ष थी। यह भी कोई उम्र होती है जाने की। क्रिकेट जगत के लिए यह खबर बिल्कुल अविश्वसनीय है, शब्दों से परे हैरान कर देने वाली थी। एक किंवदंती और क्रिकेट को सुशोभित करने वाले सबसे महान खिलाड़ियों में से एक शेनवार्न बहुत जल्दी चले गए।दुनिया में जितनी चर्चा कभी सर ब्रैडमैन, सुनील गावस्कर या सचिन तेंदुलकर की होती थी, उतनी ही चर्चा क्रिकेट जगत में शेनवार्न की भी होती थी। लोकप्रियता के पैमाने पर आंका जाए तो शेनवार्न की लोकप्रियता किसी भी पहलुु से कम नहीं थी। शेनवार्न क्रिकेट को समर्पित व्यक्तित्व थे लेकिन उनकी गेंदबाजी की शैली ने उन्हें महान बना दिया। संपादकीय :डिलीवरी ब्वाय...चुनावी शोर-शराबा समाप्तयूक्रेन से लौटे छात्रों की शिक्षा का भविष्यभारत एक आवाज में बोलेरूस-यूक्रेन युद्ध का सबबदुनिया में मचेगा हाहाकारउन्होंने 1952 से लेकर 2007 के अपने 15 वर्ष के करियर में 708 टेस्ट विकेट लिए। यह एक संयोग है कि उन्होंने क्रिकेट जगत में पदार्पण भारत के खिलाफ पहला मैच सिडनी में खेल कर किया था। जब उन्होंने 708 विकेट लेने का रिकार्ड बनाया तो टेस्ट क्रिकेट में किसी भी गेंदबाज के लिए सबसे ज्यादा विकेट थे। श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने बाद में उनका रिकार्ड तोड़ा। कुदरती प्रतिभा के साथ शेनवार्न जैसे तेवर बिरलों के ही होते हैं। शेनवार्न ने गेंदबाजी को जादू जैसे बना दिया था। उन्हें स्पिन का जागूदर माना गया। लगभग 29 वर्ष पहले शेनवार्न ने एक ऐेसी गेंद फैंकी थी, जिसे बाल ऑफ द सेंचुरी का नाम दिया गया। यह गेंद एशेज सीरीज के पहले टेस्ट के दौरान डाली गई थी। यह टेस्ट मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड के विरुद्ध खेला जा रहा था। वार्न ने एशेज सीरीज में अपनी पहली गेंद फैंकी तो इंग्लैंड के माइक गेटिंग क्लीन बोल्ड हो गए। आज तक क्रिकेट जगत में उस गेंद का जिक्र किया जाता है। लेग स्टंप के बहुत बाहर गिरने के बाद गेंद ने गेटिंग का स्टम्प उड़ा दिया। गेटिंग के साथ पूरा क्रिकेट जगत इस गेंद को देखकर हैरान रह गया। अपनी अंगुलियों से गेंद को नचाने की कला के माहिर शेनवार्न ने अपनी गेंदों से दिग्गज बल्लेबाजों को नचाया। अपनी स्पिन गेंदों के चलते वार्न बल्लेबाजों के लिए पहेली बन गए। उनकी गेंदबाजी के चलते ही क्रिकेट जगत में आस्ट्रेलिया के वर्चस्व की शुरूआत हुई।क्रिकेट के सभी फार्मेट को मिलाकर स्पिन के जादूगर वार्न ने कुल 1001 विकेट झटके जो श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन के बाद सबसे अधिक हैं। मुरलीधरन ने 495 मैचों की 583 पारियों में 1397 विकेट हासिल किए थे जबकि वार्न ने 339 मैचों की 464 पारियों में 1001 विकेट हासिल किए। शेनवार्न ने क्रिकेट फार्मेट टैस्ट, वनडे और टी-20 में अपना खूब रंग जमाया तो वहीं आईपीएल के पहले सीजन में राजस्थान रॉयल को चैम्पियन बना दिया। हर महान व्यक्तित्व के साथ विवाद भी जुड़े होते हैं। शेनवार्न ड्रग्स, अफेयर्स और अपनी डेटिंग एप के कारण भी वह काफी चर्चित रहे। ब्रिटिश आस्ट्रेलियन पत्रकार पाल बैरी ने शेनवार्न की रंगीन मिजाजी और मस्त मलंग लाइफ पर पूरी किताब ही लिख डाली थी और उन्होंने दावा किया था कि वार्न ने जीवन में 1000 महिलाओं के साथ संबंध बनाए लेकिन पांच बार ही पकड़े गए। हालांकि वार्न ने कभी सच को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने खुद कहा था कि यह चौंका देने वाला रिकार्ड व्यापक नहीं है। किताब में बहुत सारी गलतियां हैं। हालांकि विलासितापूर्ण जीवन के शौकीन शेनवार्न के ब्रिटिश एक्ट्रैस लिज हर्ले और प्रसिद्ध मॉडल एमिली स्काट के साथ भी अफेयर रहे। वो अपने ही अंदाज में अपनी जिन्दगी जीते थे। उन्हें पूरी दुनिया ने सलाम भी किया लेकिन क्रिकेट मैदान से बाहर उनके विवाद उन्हें हीरो से विलेन बना देते थे। ड्रग्स लेने के चलते शेनवार्न को आस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप टीम से बाहर भी किया गया और उन पर एक साल का बैन भी लगाया गया। पार्न स्टार से मारपीट का मामला हो या एक नर्स को अश्लील मैसेज भेजने का मामला विवादों से तंग आकर पत्नी से तलाक भी हुआ। बहुत सी ऐसी विवादित घटनाएं उनसे जुड़ी रहीं जिसकी चर्चा आज तक होती है। शोहरत की बुलंदियां और विवादों का हमेशा से संबंध रहा है। एक कमैंटेटर और खरी-खरी कहने वाले क्रिकेट विश्लेषक के रूप में भी उन्होंने अपनी खासी पहचान बनाई। उनका निजी जीवन कैसा भी रहा हो लेकिन मेरे पिता श्री अश्विनी कुमार खुद प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर और गेंदबाज रहे। वे भी शेनवार्न के प्रशंसक रहे। वास्तविकता यह है कि उन जैसी स्पिन कला का माहिर दिखाई नहीं देता। इस शून्य की भरपाई कौन करेगा कहना मुश्किल है। उनका असमय चले जाना क्रिकेट जगत के लिए दुखद है।