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- हाशिये पर शिक्षक
Written by जनसत्ता: हर साल की तरह इस साल भी शिक्षक दिवस आकर गुजर गया, लेकिन शिक्षकों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं। यह चिंता की बात है। देश में शिक्षकों की स्थिति कुछ राज्यो में बेहद खराब है। उप्र के वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में अल्प वेतन पर अध्यापन करने वाले अध्यापकों द्वारा विगत 30 वर्षों से राज्य सरकार से मानदेय और सेवाशर्तों की मांग कर रहे हैं।
विधान परिषद में इस मुद्दे को कई बार उठाया गया। धरना-प्रदर्शन किया गया। सरकार द्वारा केवल कोरा आश्वासन दिया गया। अल्प वेतन में पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रबंधकों के तानाशाही रवैये का शिकार होना पड़ता है। सेवा नियमावली के अभाव में उन्हें किसी भी समय विद्यालय से निकल दिया जाता है। ऐसे उदाहरण भी हैं, जिनमें सारी जिंदगी विद्यालयो में अध्यापन करने वाला शिक्षक घर खाली हाथ आता है और शेष जिंदगी तंगहाली में बिताता है।
सरकार मजदूरों से लेकर हर श्रमिक के कल्याण के लिए योजनाएं बनाती है। समस्या होने पर श्रम विभाग मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकारों में व्यवस्था है। लेकिन एक शिक्षित और सम्मानित शिक्षक के पद पर कार्य करने वाले इंसान की स्थिति आज दयनीय होती गई है। एक पढ़ा-लिखा इंसान बंधुआ मजदूर की तरह कार्य करता है। वह अपनी आवाज निजी स्कूलों के प्रबंधक या सरकार के सामने उठाने की हिम्मत करता है तो भी कोई सुनवाई नहीं होती। 'सबका विकास, सबका विकास और सबका विश्वास' संकल्पना शिक्षकों को दूर रख कर पूरी नहीं हो सकती।
साइरस मिस्त्री का कार दुर्घटना में निधन से उद्योग जगत का एक सितारा असमय अस्त हो गया। महंगी सुरक्षित मानी जाने वाल कार मर्सिडीज भी दुर्घटना में सवारी का जीवन सुरक्षित नहीं कर पाई। कार की अगली सीट पर बैठे यात्री सीट बेल्ट बंधे होने से और एअर बैग खुलने से सुरक्षित बच गए, जबकि दुर्घटना में कार का अगला भाग क्षतिग्रस्त हुआ है। उन्हें सीट बेल्ट एवं एअर बैलून ने सुरक्षा प्रदान की।
शासन ने कार की पिछली सीट पर भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य किया हुआ है। दुर्घटना में पहले सीट बेल्ट सुरक्षा प्रदान करते हैं, फिर बैलून का नंबर आता है। लेकिन लोग सीट बेल्ट बांधना अपनी शान के खिलाफ मानते हैं। जबकि कार की कीमत में आपने सीट बेल्ट की भी कीमत चुकाई है, मगर उसका उपयोग नहीं करते हैं।
बेल्ट दुर्घटना के झटके को रोकता है और एअर बैग खुल जाते हैं। यात्री का जीवन सुरक्षित हो जाता है। दुर्घटना के समय व्यक्ति को अपने वजन से कई गुना ज्यादा तेज झटका लगता है, जिसे सीट बेल्ट को रोक लेता है। इसीलिए सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य किया हुआ है। साइरस मिस्त्री के निधन से यह सबक लेना चाहिए कि कार में सभी सवारियों को हमेशा सीट बेल्ट बांधना चाहिए।