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रोहिणी कोर्ट के इतिहास में दर्ज हैं कई कत्ल
अंकुर झा.
जो हुआ वो खौफनाक है. डराने वाला है. चेताने वाला है. क्योंकि कोर्ट रूम के अंदर, जज के आसान के ठीक सामने और पुलिसवालों की मौजूदगी में गोली दागी गई है. रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) के अंदर दो गुर्गे पहले से मौजूद थे. एक जज के आसन की बायीं तरफ. दूसरा दाईं तरफ. बिल्कुल वकील वाले ड्रेस में. सरकारी वर्दीधारियों के कवच से लैस गैंगस्टर जितेंदर गोगी (Gangster Jitendra Gogi) जैसे ही कोर्ट में दाखिल हुआ, वैसे ही दोनों बदमाशों ने पिस्टल का मुंह खोल दिया. दिल्ली और हरियाणा का मोस्टवांटेड धड़ाम से नीचे गिर गया. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी पहले से वहां मौजूद थी. क्योंकि हमले की सूचना पहले से थी. पुलिस वालों ने भी गोलियां मारनी शुरू की और देखते ही देखते दोनों हमलावर भी मारे गए. वकीलों की फौज़ के सामने बीच कोर्ट रूम में तीन लाशें गिरी थीं.
जिन दो गुर्गों ने गैंगस्टर गोगी को गोलियों से छलनी किया, वे दोनों टिल्लू गैंग के थे. टिल्लू गैंग का सरगना टिल्लू ताजपुरिया ऊर्फ सुनील मान है. जितेंदर और सुनील कभी दोनों दोस्त थे. 2010 में कॉलेज के दिनों में दोस्ती में दरार पड़ी. दोनों ने गैंग बनाया तो दुश्मनी बढ़ गई. एक बना टिल्लू गैंग और दूसरा गोगी गैंग. दो दोस्तों की दुश्मनी ने दो दर्जन से ज्यादा लाशें गिराईं. 2020 में गोगी गिरफ्तार हो गया. जेल के अंदर से गैंग चलाने लगा. सुनील ऊर्फ टिल्लू भी जेल के अंदर है. रोहिणी, नॉर्थ वेस्ट, आउटर नॉर्थ जिले में खूब खूनी खेल चल रहा है. अदावत ने इस कदर खूनी आकार लिया कि टिल्लू ने गोगी को कोर्ट में ही मरवा दिया. इस शूटआउट से दिल्ली कांप गई.
पहले भी हो चुकें हैं रोहिणी कोर्ट में हमले
ये कोई पहली बार ना तो रोहिणी कोर्ट में लाशें गिरी है. ना ही दिल्ली में गैंगवार हुआ है. इससे पहले 2017 में भी रोहिणी कोर्ट में फायरिंग हुई थी. उस साल 29 अप्रैल को गैंगगेस्टर पर ही गोली चलाई गई थी. एक शख्स की मौत हुई थी. 2017 में ही फिर 7 महीने बाद 13 नवंबर को रोहिणी कोर्ट में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इससे 3 साल पहले 2014 में भी गैंगवार की वजह से ही रोहिणी कोर्ट में बदमाशों ने कैदी राजेश दामोदर की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
देश की राजधानी दिल्ली गैंगवारों से थर्राती रही है. दिल्ली की ज़मीन खून से लाल होती रही है. अलग-अलग कोने में, अलग-अलग गैंग के लोगों ने अलग-अलग समय पर अपनी ताकत दिखाने के लिए लाशें गिराते रहे हैं. 4 अगस्त 2021 को दिल्ली के गुरुतेगबहादुर डिपो के पास टिल्लू और गोगी गैंग में गैंगवार हुई थी, जिसमें टिल्लू गैंग का गुर्गा मारा गया था. 12 अगस्त 2021 को भी दोनों गैंग की दुश्मनी की वजह से खून बहा. बाहरी दिल्ली में कंझावला के पास एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इससे पहले 2020 के फरवरी महीने में दोनों गैंग में गोलियां चली थीं. 19 और 20 फरवरी को गैंगवार हुआ था. 2019 और 2018 में भी खूनी झड़प हुई थी. दिल्ली में ये सिर्फ दो खूनी गैंग नहीं हैं. देश की राजधानी में जहां से देश चलता है, वहां पर 30 से ज्यादा गैंग एक्टिव हैं. जिनकी दुश्मनी खूनी कहानी लिखती रही है. इन 30 गैंग्स के बारे में जानने से पहले जानिए कि दिल्ली कैसे गैंग्स की गिरफ्त में आई?
80 के दशक से शुरू होता है दिल्ली में गैंगवार का सिलसिला
दिल्ली में गैंग और गैंगवार की शुरुआत होती है 80 के दशक के खत्म होते-होते. अनूप, बलराज और कृष्णा पहलवान के बीच एक प्लॉट के लिए टकराव शुरू हुआ था. ये भी दोस्त से दुश्मन हुए थे. 1989 में पहली बार चाकूबाजी हुई थी. एक शख्स की मौत हुई. फिर 1992 में अनूप के भाई बलराज पर एक लड़के की हत्या का आरोप लगा. फिर उसी साल बलराज पर कृष्णा पहलवान की हत्या का आरोप लगा. इसके बाद जो गैंग और गैंगवार का सिलसिला शुरू हुआ, वो आज भी जारी है. 2003 अनूप की हत्या भी रोहतक कोर्ट में ही हुई थी. 2015 में कृष्णा पहलवान के छोटे भाई और पूर्व विधायक भरत सिंह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
वक्त के साथ गैंग बढ़ता गया. बंदूकें गरजने लगीं. लाशें गिरने लगीं. इस समय दिल्ली में जो 30 गैंग एक्टिव हैं, उनमें किशन पहलवान गैंग, जठेरी गैंग, ठेकेदार गैंग, ढिल्लू गैंग, टिल्लू गैंग, लाकरा गैंग, बाबा गैंग, खत्री गैंग, फज्जा गैंग, छेनू गैंग, उदयवीर गैंग, गोगी, टिल्लू सरीखे गैंग चल रहे हैं. मंजीत महाल, नीरज बवानिया, सुनीलमान उर्फ टिल्लू, इरफान उर्फ छेनू पहलवान, अब्दुल नासिर, हाशिम बाबा और सत्यप्रकाश उर्फ सत्ते समेत कई गैंगस्टर तिहाड़ जेल में हैं. वहीं से अपना गैंग ऑपरेट कर रहे हैं.
जमीन कब्जे और प्रॉपर्टी डीलिंग की वजह से दिल्ली में गिरी हैं कई लाशें
दिल्ली में अगर लुटिएंस ज़ोन को छोड़ दीजिए तो ज्यादातर हिस्सों में इन्हीं 30 गैंग और गैंगस्टर का खौफ है. इन गैंगस्टर्स का मुख्य धंधा ज़मीन का कब्जा है. प्लॉट को लेकर तीन पहलवानों के बीच शुरू हुआ गैंगवार अब भी ज़मीन के टुकड़ों के ईर्द-गिर्द है. इसके अलावा फ्लैट भी कब्जाते हैं. प्रॉपर्टी डीलिंग भी इनके मुख्य धंधों में शामिल है. ज्यादातर लाशें इन्हीं कब्जे वाली ज़मीन और फ्लैट की वजह से गिरती हैं. जब ब्लू लाइन बसें चलती थीं, तब ट्रांसपोर्ट भी गैंगस्टरों की कमाई का जरिया था. टीवी केबल का धंधा भी इन्हीं के हिस्सों में है. कई जगहों पर वसूली भी करते हैं. इस धंधे में बड़े-बड़े शामिल हैं. इसी साल जब पहलवान सुशील कुमार एक दूसरे पहलवान की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए थे, तब भी फ्लैट कब्जे की बात ही सामने आई थी. सुशील कुमार का जठेरी गैंग से रिश्ते का आरोप भी है. छत्रसाल स्टेडियम में किस तरह गैंग चलता है, ये भी कमोबेश सब जानते हैं.
कानून-व्यवस्था की छाती पर चढ़कर खुल्लम खुल्ला ये गैंगस्टर अपना गैंग चला रहे हैं. जेल में रहने के बावजूद 15-20 गुर्गों की बदौलत अपने-अपने इलाकों में इनकी हुकूमत चल रही है. मुट्ठीभर गैंगस्टर दिल्ली को अपनी गिरफ्त में ले चुके हैं. इन खूनियों पर ईनाम रखकर. इन्हें गिरफ्तार कर पुलिस इतिश्री कर लेती है. जिस तरह टिल्लू गैंग के सरदार ने जेल में रहकर जितेंदर गोगी का कोर्ट के अंदर कत्ल करवाया है, उसके बाद इन गैंगस्टर के खिलाफ बड़े और सख्त ऑपरेशन की उम्मीद तो की जा सकती है. क्योंकि ये भी मुंबई के अंडरवर्ल्ड से कम नहीं हैं.
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