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- खुशियों का मूल मंत्र
शुक्रवार 26 नवंबर का दिन एक खास दिन था। आचार्य प्रशांत, सिस्टर बीके शिवानी, गौड़ गोपाल दास, ल्यूक कुटीन्हो और लद्दाख के चोक्योंग पाल्गा आदि के सानिध्य में मेरा सारा दिन गुज़रा जब हम सब समग्र स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रम 'दि फैस्टिवल ऑव वैलबीइंग 2021' में विचार-विमर्श कर रहे थे। वर्तमान माहौल के संदर्भ में यह कार्यक्रम एकदम सटीक था और मेरे अन्यतम मित्र डा. अनुराग बत्रा के नेतृत्व में 'बिज़नेस वर्ल्ड' की टीम ने इसका प्रबंधन बहुत कुशलता से किया था। विद्वान वक्ताओं के ओजस्वी विचार इतने सम्मोहक थे कि दिन गुज़रने का पता ही नहीं चला। लद्दाख के चोक्योंग पाल्गा, ब्रह्मकुमारी सिस्टर शिवानी वर्मा और प्रसिद्ध संत गौड़ गोपाल दास के वचनामृत सबके हृदय में घुल-घुल गए। मैं जिस पैनल में था उसका विषय ही 'हैपीनेस ः दि न्यू बज़वर्ड', यानी खुशियों का मूल मंत्र था और स्वयं डा. अनुराग बत्रा इसके मॉडरेटर थे। उनके तीन सवालों के जवाब में मैंने जो कहा वह खुशियों का मूल मंत्र है और हम सबके जीवन में उसकी महत्ता ऐसी है कि यदि हम उसे अपना लें तो जीवन ही बदल जाता है।