सम्पादकीय

मणिपुर चुनाव 2022: आखिर किस रणनीति के चलते जीती भाजपा?

Gulabi
10 March 2022 5:08 PM GMT
मणिपुर चुनाव 2022: आखिर किस रणनीति के चलते जीती भाजपा?
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पूर्वोत्तर भारत के छोटे से राज्य मणिपुर में बीजेपी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है
अमिय भूषण।
पूर्वोत्तर भारत के छोटे से राज्य मणिपुर में बीजेपी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। पार्टी 21 सीटों से बढ़कर बहुमत के आंकड़ों को छूने की ओर है। अगर कुछ संख्या बल कम होता है तो अन्य दलों से लड़कर सदन पहुंचे भाजपा बागी काम आ सकते हैं। दरअसल यहां एनपीपी से जदयू तक के दर्जनों प्रत्याशी पुराने भाजपाई हैं।
बात बीजेपी के सत्ताई विस्तार वाले दौर की करें तो ये जीत खास है। एक ऐसे राज्य में जहां करीब आधी आबादी गैर हिंदू है। यहां ईसाई घोषित तौर पर 41.29 तो मुस्लिम 8.40 फीसदी हैं। वहीं नई नवेली भाजपा अब तक घाटी के मैतेई हिंदुओं की पार्टी मानी जाती रही है, जिसका प्रभाव राज्य के कुल क्षेत्रफल के 10% और 29 सीटों वाले घाटी तक माना जा रहा था। उसने मणिपुर में महज पांच वर्षों की अवधि में शून्य से शिखर का सफर तय किया है। ऐसे मे ये जीत कई मायनों में उल्लेखनीय है।
मणिपुर में भाजपा का जलवा
मणिपुर के जनादेश की व्याख्या और कारणों की पड़ताल को समझना जरूरी है। बीजेपी की जीत के जनादेश से एक बात तो बहुत साफ है कि मणिपुर में बीजेपी की सरकार को लेकर आम मणिपुरी आवाम में सत्ता के पक्ष में वातावरण जबरदस्त था। अब सवाल ये है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार ने ऐसा क्या किया कि पहाड़ और घाटी दोनों ने बीजेपी को भरपूर समर्थन दे दिया?
इस सवाल का उत्तर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नीति में ही निहित है।
उस नीति में जिससे सीएम बीरेन सिंह अपने कैबिनेट के साथियों और अधिकारी के साथ 'गो टू हिल्स' और 'गो टू विलेज' योजना लेकर उपेक्षित पहाड़ों में पहुंचे थे। योजना और नीति के स्तर पर घाटी और पहाड़ के भेदभाव को कम करके समभाव से काम करना बीजेपी सरकार के पक्ष में एक बड़ा कारण रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं ने मणिपुर की इस जीत को निर्धारित करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। गरीबों के लिए मुफ्त राशन ,शौचालय, आवास जैसी केंद्रीय योजनाओं का घाटी से पहाड़ तक बीजेपी की जीत में उल्लेखनीय योगदान है।
देश के गृहमंत्री अमित शाह की ओर से मणिपुर में शांति और विश्वास बहाली की जो को कोशिशें पिछले कुछ वर्षों से जारी हैं, उसका असर भी जीत में बहुत साफ-साफ नज़र आ रहा है। नागा, कूकी और मैतेई संगठनों के साथा केंद्र की ओर से जारी संवाद की कोशिश ने इस चुनाव की धारा को बीजेपी की ओर मोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।
संगठन का रहा है बड़ा योगदान
बीजेपी की इस बड़ी जीत में सरकार से अलग बीजेपी संगठन की भूमिका को भी समझना जरूरी है। पिछले डेढ़ वर्षो में मणिपुर के भीतर सभी जिलों में बीजेपी संगठन ने तेज़ी से अपना विस्तार किया है। 60 हज़ार से ज्यादा नए सदस्य, हज़ारों नए कार्यकर्ता और सैंकड़ो नए नेताओं की एक बड़ी फौज के सहारे बीजेपी इन चुनावों में थी।
पस्त कांग्रेस और अस्त-व्यस्त अन्य दलों की अपेक्षा भाजपा अपने मज़बूत संगठन के सहारे सबसे आगे थी। राज्य में बीजेपी संगठन और उसके कौशल प्रबंधन का श्रेय सीधे-सीधे मणिपुर बीजेपी के संगठन महामंत्री अभय गिरी को भी जाता है।
आरएसएस के पूर्णकालिक अभय गिरी ने मणिपुर में अपने कार्यकाल के मात्र एक साल में बीजेपी संगठन को सरकार के लिए मददगार बना दिया है। उन्होंने भाजपा बागी प्रत्याशी सीटों पर अपनी शिष्टाचार भेंट यात्रा को बनाए रखा, जिसके परिणाम स्वरूप इन सीटों पर मुखर भाजपा विरोध देखने को नहीं मिला। वहीं दूसरी ओर चुनाव बाद जीतकर आए ये भाजपा बागी नई सरकार गठन में भाजपा के सहयोगी भी हो सकते है, जिसकी पूरी पूरी संभावना है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।
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