सम्पादकीय

Manipur Assembly Elections: अलगाववादी संगठन KLO की मदद से मणिपुर में कांग्रेस को हराएगी बीजेपी?

Gulabi
26 Feb 2022 8:35 AM GMT
Manipur Assembly Elections: अलगाववादी संगठन KLO की मदद से मणिपुर में कांग्रेस को हराएगी बीजेपी?
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सम्पादकीय
अजय झा.
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में विधानसभा चुनाव (Manipur Assembly Elections) के पहले चरण में 38 सीटों के लिए मतदान मंगलवार, यानि 28 फरवरी को होगा और दूसरे चरण में बाकी के बचे 22 सीटों पर मतदान 5 मार्च को होगा. सम्भावना यही थी कि प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर से सरकार बनाने में सफल रहेगी, पर चुनाव के ठीक तीन दिन पहले एक ऐसी घटना हुई जिससे बीजेपी का पलड़ा अभी से भारी प्रतीत होता दिखने लगा है. प्रतिबंधित संगठन कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KLO) ने एक फरमान जारी किया है और सभी जनजातीय मतदाताओं को आदेश दिया है कि वह बीजेपी के लिए वोट करें.
यही नहीं, KLO ने साथ में यह भी कहा है कि जो उनके इस आदेश का पालन नहीं करेगा तो यह माना जाएगा कि वह जनजातीय लोगों के खिलाफ है. मणिपुर से अलग पृथक राज्य की मांग के समर्थन में KLO पिछले लगभग 33 वर्षों से संघर्षशील है. जब उनकी मांग नहीं मानी गयी तो संस्था ने बन्दूक उठा लिया और अपनी सेना का गठन किया जो बन्दूक के दम पर अलग राज्य लेने की चेष्टा करते रहे हैं. संस्था का मुख्यालय पड़ोसी देश म्यांमार में है.
मणिपुर में लगभग 30 प्रतिशत मतदाता कुकी जनजाति के हैं
KLO के मुताबिक केंद्र सरकार ने उनसे वादा किया है कि मणिपुर में इस बार बीजेपी की सरकार बनने के पांच वर्षों के अन्दर ही उनकी मांग पर बातचीत के जरिए समुचित समाधान किया जाएगा. म्यांमार में बदली परिस्थितियों के कारण या फिर अनुभव की बन्दूक के जरिए भारत जैसे बड़े देश से पृथक राज्य की मांग मनवाना लगभग असंभव है, जहां KLO की इच्छा कि वह राज्य और राष्ट्र की मुख्यधारा से जुडें और शांतिपूर्ण तरीके से उनकी मांग का समाधान निकले एक सराहनीय कदम माना जा सकता है.
वहीं उनका फरमान कि सभी कुकी जनजाति के मतदान बीजेपी के पक्ष के वोट करें किसी भी जनतंत्र में सराहा नहीं जा सकता. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) नामक संगठन ने इस फरमान का विरोध यह कहते हुए किया है कि मतदाताओं को डरा धमका कर किसी एक दल के पक्ष के मतदान करवाना निष्पक्ष चुनाव की राह में बाधा बन सकता है.
मणिपुर के लगभग 30 प्रतिशत मतदाता कुकी जनजाति के हैं. कुकी जनजाति के लोग मणिपुर के आलावा असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में भी रहते हैं. सम्भावना यही व्यक्त की जा रही है कि मणिपुर के बीजेपी के स्थानीय नेता KLO के संपर्क में थे और उन्हें बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद भी प्राप्त था. उल्लेखनीय है कि बुधवार को एक चुनावी सभा में भाषण देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार विभिन्न कुकी जनजाति के संगठनों के साथ बातचीत करेगी और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप अगले पांच वर्षों में इस लम्बे समय से चले आ रहे गतिरोध का समाधान कर लिया जाएगा. शाह ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार भविष्य में किसी कुकी युवक को बन्दूक उठाते हुए नहीं देखना चाहती.
बीजेपी और KLO के बीच यह खिचड़ी काफी समय से पक रही थी
यह कहना तो संभव नहीं है कि बीजेपी और केंद्र सरकार के किसी ठोस वादे के बाद ही KLO ने यह विवादित फरमान जारी किया है या फिर उन्हें भरोसा है कि जो काम पूर्व में कांग्रेस पार्टी नहीं कर पाई, वह अब बीजेपी पूरा करेगी. हम यहां सही और गलत की बातें कर सकते हैं और बीजेपी के विरोधी में यह सवाल उठा सकते हैं कि बन्दूक के साए में कैसे निष्पक्ष चुनाव हो पाएगा, पर इतना तो तय है कि KLO के इस फरमान के बाद अब बीजेपी के जीत की सम्भावना काफी बढ़ गई है. वैसे भी अलग अलग चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में कहा गया था कि या तो बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी या फिर मणिपुर में एक बार फिर से त्रिशंकु विधानसभा का चुनाव होगा, पर इस बात पर किसी को शक नहीं था कि इस बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी.
2017 के चुनाव में लगातार 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के पश्चात 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस पार्टी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने आई थी. जहां पूर्व में मणिपुर विधानसभा में बीजेपी का कोई भी विधायक नहीं था, पार्टी 21 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस पार्टी समय रहते दूसरे दलों से तीन विधायक नहीं जुटा पाई और बीजेपी नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और नेशनल पुपील्स पार्टी (NPP) जिनके 4-4 विधायक चुनाव जीत कर आए थे, एकलौते निर्दलीय विधायक और लोक जनशक्ति पार्टी जिसका एक विधायक चुनाव जीता था, के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही. बाद में कांग्रेस पार्टी के 13 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी को पिछले दरवाज़े से बहुमत हासिल हो गया और कांग्रेस पार्टी के लिए वर्तमान चुनाव में उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को जुटाना भी चुनौतीपूर्ण बन गया.
लगता है कि बीजेपी और KLO के बीच यह खिचड़ी काफी समय से पक रही थी, वर्ना बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ चुनाव लड़ने से इंकार नहीं किया होता. मणिपुर चुनाव में बीजेपी एकलौती पार्टी है जो सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. चूंकि KLO की पकड़ कुकी जनजाति पर काफी प्रभावशाली है और दबे शब्दों में संगठन ने फरमान के साथ धमकी भी दे डाली है, संभव है कि कुकी मतदाताओं के समर्थन से बीजेपी अब बड़े आराम से बहुमत हासिल करने में सफल रहेगी.
बीजेपी हमेशा से छोटे राज्यों की पक्षधर रही है
चुनाव जीतना एक बात है पर चुनावी वादों को पूरा करना आसन नहीं होता है. अगर बीजेपी पृथक कुकी राज्य बनाने के अपने वायदे पर अमल करती है तो फिर पूरे पूर्वोत्तर में तनाव बढ़ जाएगा, क्योंकि अन्य राज्यों में भी ऐसे कई भूमिगत संगठन हैं जो पृथक राज्य के लिए पिछले कई दशकों से संघर्ष कर रहे हैं. देश के अन्य राज्यों से भी ऐसी मांग उठती रही है जिसमें से महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों को अलग राज्य देना की मांग काफी पुरानी है.
मणिपुर में कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KLO) के साथ अगर बीजेपी की डील हुई है तो लगता तो ऐसा ही है कि केंद्र सरकार ने मन बना लिया है कि वह समय आ गया है जब एक बार फिर से राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया जाए, ताकि नए सिरे से इस विषय पर विस्तार से चर्चा हो सके. बीजेपी हमेशा से छोटे राज्यों की पक्षधर रही है. 2000 में जबकि केंद्र में बीजेपी की सरकार थी, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड को पृथक राज्य का दर्ज़ा मिला था. हालांकि आंध्रप्रदेश से अलग तेलंगाना को पृथक राज्य बनने की मांग केंद्र की कांग्रेस सरकार ने ली थी, राज्य का उद्घाटन 2014 में बीजेपी सरकार बनने के कुछ हफ्ते बाद हुआ था.
वैसे भी अभी तक का भारत का अनुभव रहा है कि छोटे राज्यों का विकास दर बड़े राज्यों की तुलना में काफी अधिक होता है. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड इस बात के गवाह हैं. और जब केंद्र सरकार ने ऐसा कुछ मन बना ही लिया है तो फिर मणिपुर में KLO के समर्थन से पूर्ण बहुतमत हासिल करने से बीजेपी को कोई परहेज नहीं है, क्योंकि चुनाव जीतने के लिए ही लड़ा जाता है. क्या सही है और क्या गलत, इस चर्चा में बीजेपी की कोई खास रूचि नहीं है. वैसे भी बिना चुनाव जीते ही वर्तमान में मणिपुर, गोवा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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