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मंडी रैली के उत्कर्ष पर सबसे अधिक पुष्प वर्षा पाकर हिमाचल सरकार का गदगद होना स्वाभाविक है
दिव्याहिमाचल.
मंडी रैली के उत्कर्ष पर सबसे अधिक पुष्प वर्षा पाकर हिमाचल सरकार का गदगद होना स्वाभाविक है। जहां डबल इंजन प्रदेश की राजनीति को खींच गया और अगर उपचुनावों की हार से माहौल में कोई अनिश्चितता थी भी, तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं मौजूद होकर राइजिंग हिमाचल लिखा, वहीं राइजिंग जयराम ठाकुर भी लिख दिया। इस तरह चौथे वर्ष की पगबाधा से बाहर निकलते हुए अपने पांचवें वर्ष की सत्ता में जयराम ठाकुर पूरी तरह लाभान्वित हो रहे हैं। केंद्र की निगाहों में मुख्यमंत्री सशक्त हुए हैं, तो अब उनके लिए ये शाबाशियां आगे बढ़ने के लिए कम नहीं, बशर्ते मंडी रैली का वातावरण चुनाव तक साथ दे और जनता के बीच मिशन रिपीट के उद्गार संबल बनें। हिमाचल सरकार ने अपने कार्यकाल में सफलता के कुछ शब्द प्रधानमंत्री के भाषण को दिए हैं और इस तरह 'डबल इंजन' की महत्त्वाकांक्षा से देश में अपनी श्रेष्ठता साबित करते राज्य ने वैक्सीनेशन का रिकार्ड दर्ज किया है। हिमाचल की हिम केयर योजना, जल शक्ति विभाग का रिपोर्ट कार्ड तथा शिवधाम परियोजना का जिक्र करते प्रधानमंत्री राज्य की तस्वीर को देश में फैला देते हैं। वह प्राकृतिक खेती के आदर्शों में हिमाचल की तरक्की से अभिभूत हो जाते हैं, तो केंद्रीय योजनाओं की अनुपालना में जयराम ठाकुर सरकार की प्रतिबद्धता को आशीर्वाद देते हैं।
यानी माहौल की अनुकूलता में मंडी ने इतनी हरियाली तो देख ही ली कि आगामी विधानसभा चुनावों का समां बांध कर प्रधानमंत्री कुछ शंखनाद भी कर गए। उन्हंे मालूम है कि भले ही उत्तरप्रदेश के आगामी चुनावों में कांग्रेस घिसट रही है, लेकिन हिमाचल में सीधी टक्कर इसी दल से है। इसलिए मंडी रैली का सीधा प्रहार कांग्रेस पर होता है और प्रधानमंत्री प्रदेश के हिमायती के रूप में रेणुकाजी बांध परियोजना सहित अन्य इलेक्ट्रिक प्रोजेक्टों के साथ स्वर्णिम युग का वादा करते हैं। अटल टनल के श्रेय की होड़ में वह कांग्रेस से छीना-झपटी करते हुए पिछले सत्तर साल की जलापूर्ति को भी प्रश्नांकित करते हुए यह कह देते हैं कि जयराम सरकार ने मात्र दो साल में सात लाख घरों तक नल से जल दिया है। इससे पहले सत्तर सालों में भी सात लाख ही नल लगे, तो यह अंतर वर्तमान सरकार की उपलब्धि में दर्ज करके वह भूल जाते हैं कि भाजपा के अन्य दो मुख्यमंत्रियों प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार ने दो-दो बार सत्ता का संचालन किया है। शांता कुमार को तो आज भी लोग पानी वाला मुख्यमंत्री के तौर पर याद करते हैं। प्रधानमंत्री के निशाने पर कांग्रेस का विलंब है तो वह अपने लिए विकास की प्रशंसा चुन लेते हैं। हालांकि वह हिमाचल के भाग्य का मार्ग प्रशस्त करते हुए फूड, फार्मा तथा फन टूरिज्म का मुहावरा गढ़ देते हैं, लेकिन ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के 11 हजार करोड़ का निवेश केवल विद्युत शक्ति का ही परिचायक बनता है।
निवेश की राह में पर्यटन का तिलिस्म दिखाई नहीं देता और न ही कहीं मेगा फूड पार्क और कोल्ड स्टोरेज की चेन दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री के हवाले से पर्यटन के नजदीक तीर्थाटन खड़ा होता है, तो मंडी का शिवधाम दिखाई देता है, लेकिन उत्तराखंड की चार धाम सरीखी सड़क परियोजना हिमाचल के तीन कैलाशों को नहीं छूती। हिमाचल में किसी बौद्ध सर्किट की घोषणा नहीं होती। कनेक्टिविटी की जोरदार पेशकश में प्रधानमंत्री परवाणू-शिमला तथा नेरचौक-मनाली फोरलेन परियोजनाओं का विवरण देते हैं, मगर पठानकोट-मंडी तथा शिमला-धर्मशाला फोरलेन परियोजनाओं का भाग्य नहीं जगाते। आश्चर्य यह कि मंडी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की खुशखबरी रैली नहीं दे पाती, तो कांगड़ा हवाई पट्टी का विस्तार कैसे होगा। कुल मिलाकर मंडी रैली का सियासी निवेश तो नजर आता है और इसके सीधे लाभार्थी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हैं, लेकिन राज्य के विकास का निवेश यहां कोई सौगंध नहीं लेता। प्लास्टिक से पर्यावरण के नुकसान पर प्रधानमंत्री की चेतावनी अंत में पर्यटकों से अपील करती है, लेकिन देश का पहला घोषित प्लास्टिकमुक्त राज्य हिमाचल आज भी इस श्रेय से वंचित है, तो इसलिए कि कहीं इसे 'पर्यटन राज्य' का दर्जा नहीं मिल पाया है।
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