सम्पादकीय

जनादेश के अनुमान

Rani Sahu
8 March 2022 7:03 PM GMT
जनादेश के अनुमान
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एग्जिट पोल चुनावों को आंकने और सर्वेक्षण करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है

एग्जिट पोल चुनावों को आंकने और सर्वेक्षण करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। विदेशों में इसे काफी गंभीरता से लिया जाता है। उनकी सफलता और सटीकता की दर भी शानदार है, लेकिन भारत में एग्जिट पोल आज भी सवालिया है। करीब 40 फीसदी अनुमान गलत साबित होते रहे हैं। एग्जिट पोल करीब 60 फीसदी तक सही की सीमा तक सार्थक रहे हैं, यह भी कम उपलब्धि नहीं है। कभी पूरी तरह बाजी पलट जाती है, लेकिन ये अनुमान हैं। एक तरह का सार्वजनिक, सामाजिक अध्ययन है, जो सही और सच्ची तस्वीर तक भी ले जाता है। चूंकि ये जनादेश के अनुमान हैं, अधिकृत नतीजे 10 मार्च को सार्वजनिक किए जाएंगे, लिहाजा एग्जिट पोल को अनुमान की तरह ही ग्रहण करें। पांच राज्यों के चुनाव समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल-2022 सामने है। ये अनुमान अलग-अलग एजेंसियों के हैं और सैंपल साइज भी भिन्न हैं, नतीजतन कथित निष्कर्ष भी एक नहीं हैं। बहरहाल सबसे चौंकाऊ अनुमान सबसे बड़े राज्य उप्र का है, जहां 403 विधानसभा सीटों के लिए मतदान किया गया। उप्र में भाजपा की ही सरकार बन सकती है। सभी के अनुमानों के निष्कर्ष ये हैं कि भाजपा को सहज बहुमत हासिल हो सकता है। बेशक 2017 की तुलना में जनादेश के आंकड़े कम हो सकते हैं, लेकिन 50 फीसदी से ज्यादा विधायक भाजपा के ही जीत सकते हैं।

यदि लगभग यही अनुमान अंतिम जनादेश रहता है, तो 1985 के बाद दूसरी बार सरकार लगातार रिपीट होगी। इसका बुनियादी श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी को जाएगा, जिन्होंने सरकार के प्रति आम नागरिक का भरोसा बरकरार रखा और पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगातार सक्रिय रखा। बेरोज़गारी, कमरतोड़ महंगाई, किसानों की नाराजगी, कोरोना महामारी और सांप्रदायिक धु्रवीकरण सरीखे गंभीर आरोपों को हाशिए पर रखा। ओबीसी, दलितों के साथ सवर्णों और सबसे अधिक महिलाओं के वोट भाजपा को हासिल हुए। उप्र में सपा गठबंधन एक ताकतवर विपक्ष के तौर पर उभर सकता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के हिस्से एक बार फिर दहाई से भी कम सीटें आ सकती हैं। उप्र के अलावा, पंजाब के अनुमान 'सुनामी' साबित हो सकते हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, पंजाब 'केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस' पर मुहर लगा सकता है। कुछ अनुमान तो 117 सीटों में से 100 सीटें आम आदमी पार्टी के पक्ष में बता रह हैं। शेष 17 सीटें कांग्रेस, अकाली दल, भाजपा-कैप्टन गठबंधन के हिस्से बताई गई हैं। गौरतलब है कि 2017 में भी एग्जिट पोल ने 'आप' को 70-93 सीटें दी थीं, लेकिन अंतिम जनादेश 20 सीट तक ही सिमट कर रह गया।
अनुमान इस बार ऐसे नहीं दीखते, क्योंकि पंजाब मंे 'परिवर्तन की जबरदस्त लहर' महसूस की जा रही थी। अनुमान बता रहे हैं कि सबसे बड़े मालवा इलाके में ही 'आप' को 69 में से 63 सीटें मिल सकती हैं। उप्र, पंजाब और मणिपुर के अनुमान निश्चित लगते हैं। मणिपुर में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रहेगी अथवा सत्ता बरकरार रख सकती है। इनके अलावा, उत्तराखंड और गोवा में 'त्रिशंकु जनादेश' संभव है। वहां भाजपा और कांग्रेस में कांटेदार मुकाबला बताया जा रहा है। पहाड़ी राज्य में भाजपा के पक्ष में अनुमान ज्यादा हैं, लेकिन गोवा में कांग्रेस भाजपा से आगे है, लेकिन निर्दलीय विधायकों की संख्या भी अच्छी-खासी बताई गई है। यदि उत्तराखंड में भाजपा की ही सरकार बनती है, तो यह भी रिकॉर्ड होगा, क्योंकि 2000 में अलग राज्य बनने के बाद से बारी-बारी जनादेश मिलते रहे हैं। हालांकि गोवा में भी भाजपा आश्वस्त है। वहां विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सकती है, जैसा 2017 में भी हुआ था। इन चुनावों में भी कम मतदान की हकीकत चिंताजनक रही है। हालांकि मणिपुर और गोवा में मतदान 70 फीसदी से ज्यादा किया गया, लेकिन उप्र जैसे राज्य में मतदान का रुझान 60 फीसदी से कम रहा है, यह जि़ंदा और सचेत लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। भारत सरकार और निर्वाचन आयोग को इस दिशा में सार्थक प्रयास करने पड़ेंगे।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

Rani Sahu

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