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![ममता की निर्मम-निरंकुश राजनीति: ममता को यह आभास होना चाहिए कि वह पूरे बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, सिर्फ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की नहीं ममता की निर्मम-निरंकुश राजनीति: ममता को यह आभास होना चाहिए कि वह पूरे बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, सिर्फ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की नहीं](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/05/21/1065295-re.webp)
रसाल सिंह : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल विधानसभा के चुनावों में जीते सभी भाजपा विधयाकों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बल भेजने का निर्णय लिया है। यह निर्णय तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद बंगाल में घटित अभूतपूर्व हिंसा के बाद लिया गया है। इस हिंसा में तृणमूल कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने करीब तीन दर्जन भाजपा कार्यकर्ताओं को मार डाला और अनेक को अपाहिज बना दिया या उनके घर-बार जलाकर उन्हेंं उजाड़ डाला। ऐसे कुछ लोग असम पलायन कर गए हैं। हालत यह है कि लोगों को जान बचाने के लिए मतांतरण तक के लिए सोचना पड़ रहा है। विपक्षियों को सबक सिखाने की कार्रवाई के दौरान बंगाल पुलिस-प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता शर्मनाक और निंदनीय रही। चूंकि ममता ने तृणमूल के उपद्रवियों द्वारा अंजाम दी जा रही हिंसक घटनाओं की ओर से आंखें मूंदें रखीं, इसलिए उनको शह मिली। जब चुनाव आयोग, मानवाधिकार आयोग, केंद्र सरकार द्वारा हालात का जायजा लेने के लिए भेजे गए पर्यवेक्षकों और स्वयं राज्यपाल ने इस प्रायोजित राजनीतिक हिंसा का संज्ञान लिया, तब जाकर ममता की नींद टूटी। हालांकि बंगाल में अभी भी हिंसा और उत्पीड़न जारी है। तृणमूल द्वारा बंगाल में की गई भयावह हिंसा ने केरल में वामपंथियों द्वारा की जाने वाली हिंसा को भी पीछे छोड़ दिया।