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- ममता का राजधर्म: पीएम...
भूपेंद्र सिंह | पश्चिम बंगाल में यास तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई समीक्षा बैठक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तरह किनारा किया, उससे उन्होंने अपने तुनकमिजाज रवैये का ही प्रदर्शन किया। उन्होंने यह तुनकमिजाजी तब दिखाई, जब प्रधानमंत्री समीक्षा बैठक करने खुद बंगाल पहुंचे थे। ममता इस बैठक में आधे घंटे देर से पहुंचीं और विधिवत बातचीत करने के बजाय तूफान से हुए नुकसान संबंधी कुछ कागज प्रधानमंत्री को सौंप कर चलती बनीं। यह प्रोटोकॉल के साथ सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार और राजधर्म के भी विरुद्ध है। पता नहीं समीक्षा बैठक से कन्नी काटने और प्रधानमंत्री को इंतजार कराने से ममता को क्या हासिल हुआ, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि उन्होंने ऐसा करने के लिए ठान लिया था और इसी कारण राज्य के मुख्य सचिव भी देर से पहुंचे। बाद में ममता ने सफाई दी कि उन्हेंं इस बैठक के बारे में पता नहीं था, लेकिन इसके पहले वह यह कह रही थीं कि उन्हेंं किसी और जरूरी बैठक में जाना था। साफ है कि वह किसी बहाने प्रधानमंत्री की बैठक का बहिष्कार करना चाहती थीं। यह तर्क गले नहीं उतरता कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात से भी जरूरी उनकी वह कथित बैठक थी, जिसका जिक्र उन्होंने किया। ममता का यह रवैया केंद्र-राज्य संबंधों में और बिगाड़ पैदा करने का ही काम करेगा।