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![माखनलाल चतुर्वेदी: देशद्रोह के आरोप में जेल गए, मुख्यमंत्री की कुर्सी ठुकराई, पद्मभूषण लौटाया और लिखी- पुष्प की अभिलाषा... माखनलाल चतुर्वेदी: देशद्रोह के आरोप में जेल गए, मुख्यमंत्री की कुर्सी ठुकराई, पद्मभूषण लौटाया और लिखी- पुष्प की अभिलाषा...](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/01/30/1481211-1.gif)
आज तीस जनवरी है. महात्मा गांधी का शहीदी दिवस. यही दिन 'एक भारतीय आत्मा' के नाम से प्रसिद्ध भावधरा के कवि, निर्भिक पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि भी है. ऐसे मनीषी जिसने साहित्य साधना के लिए मुख्यमंत्री का पद भी नकारा और हिंदी को लेकर सरकार के रवैये का विरोध करते हुए पद्मविभूषण भी. दादा माखनलाल चतुर्वेदी का उल्लेख करते ही हमें उनकी ख्याल कविता 'पुष्प की अभिलाषा' याद आती है. राष्ट्र प्रेम के साहित्य को भारी-भरकम शब्दावली से मुक्त करवा कर उसे सहज रूप से जनता तक पहुंचाने का श्रेय दादा माखनलाल चतुर्वेदी को जाता है. उनकी रचनाओं में जितना राष्ट्र प्रेम मुखरित हैं उतनी ही पर्यावरण चेतना भी. जो खुद कभी ईमान से डिगे, जिन्होंने अपने आचरण से हमेशा संघर्ष की सीख दी उनकी रचनाओं में प्रकृति के सहारे जीवन उन्नत बनाने की प्रेरणा बारम्बार रेखांकित होती है. आकाश, धरा, पुष्प, कांटें, मास, गंगा, बादल आदि प्रतीक जीवन सूत्र के रूप में मौजूद हैं. इन कविताओं से गुजरना प्रकृति की गोद में विचरण करते हुए अपनी मन की उलझनों के तालों की चाबी पाने जैसा है. एक-एक कविता पढ़ते जाइये और अपने लिए एक खास तरह का प्राकृतिक संदेश पाते जाइये.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)