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पंजाब सरकार ने केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की सरकार से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके अनुसार पंजाब सरकार दिल्ली नगर की सरकार से शासन के विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान प्राप्त करेगी। केजरीवाल बार-बार कहते रहते हैं कि वे राजनीति को नहीं जानते लेकिन वे दो क्षेत्रों में माहिर हैं। स्कूल बनाने में और अस्पताल बनाने में। अब वे जिससे भी मिलते हैं उससे यही कहते हैं कि मुझसे ये ज्ञान प्राप्त करके अपने-अपने राज्य का भाग्य चमका लो। लेकिन कुछ लोग इसकी थोड़ी गहरी व्याख्या करते हैं। उनके अनुसार केजरीवाल अन्ना आंदोलन के रथ पर सवार होकर देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। इसीलिए वे सीधे वाराणसी में जाकर नरेंद्र मोदी के मुकाबले अखाड़े में उतर गए। वहां उनका जो हश्र हुआ वह बताने की जरूरत नहीं। ज़ाहिर है अन्ना आंदोलन के माध्यम से बनी अपनी छवि का मूल्यांकन उन्होंने जरूरत से ज्यादा कर लिया था। कांग्रेस की गलत रणनीति से या फिर दिल्ली प्रदेश भाजपा की अंदरूनी कलह से दिल्ली नगर की सरकार किसी तरह उनके कब्जे में आ गई थी। यदि वे चाहते तो मन लगा कर दिल्ली में कुछ करते। लेकिन उनका मन तो प्रधानमंत्री के पद पर लगा हुआ था।