सम्पादकीय

Maharashtra HSC Result 2022: बारहवीं के रिजल्ट लड़कियों ने मारी बाजी, 95.35 प्रतिशत रहा, लड़कों का 93.29, जानें हर जिले का हाल

Rani Sahu
9 Jun 2022 5:42 PM GMT
Maharashtra HSC Result 2022: बारहवीं के रिजल्ट लड़कियों ने मारी बाजी, 95.35 प्रतिशत रहा, लड़कों का 93.29, जानें हर जिले का हाल
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लड़कियों ने एक बार फिर साबित किया है कि वे लड़कों से किसी भी मायने में उन्नीस नहीं हैं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय

Maharashtra HSC Result 2022: लड़कियों ने एक बार फिर साबित किया है कि वे लड़कों से किसी भी मायने में उन्नीस नहीं हैं बल्कि बीस ही हैं. महाराष्ट्र बोर्ड के आज बुधवार को घोषित बारहवीं के रिजल्ट में जहां लड़कियों ने बाजी मारी है, वहीं यूपीएससी परीक्षा के हाल ही में घोषित परिणामों में भी शीर्ष तीन स्थान पर लड़कियां काबिज रही हैं.
महाराष्ट्र बोर्ड के बारहवीं के परीक्षा परिणाम में 95.35 प्रतिशत लड़कियां पास हुईं, जबकि लड़कों के पास होने का प्रतिशत 93.29 है. हाल ही में घोषित राजस्थान बोर्ड 12वीं के परीक्षा परिणामों में भी लड़कियां आगे रही हैं और मध्यप्रदेश के दसवीं-बारहवीं के परिणामों में लड़कों के मुकाबले पांच फीसदी से अधिक लड़कियां सफल रहीं.
बिहार बोर्ड के इस साल के बारहवीं के परिणामों में भी लड़कियां ही अव्वल रही थीं. गुजरात बोर्ड के दसवीं के परीक्षा परिणामों में लड़कों के मुकाबले करीब 12 प्रतिशत ज्यादा लड़कियों ने सफलता पाई. कहने का तात्पर्य यह कि आप किसी भी राज्य के बोर्ड का परीक्षा परिणाम उठाकर देख लीजिए, आमतौर पर यही सुर्खियां देखने को मिलेंगी कि लड़कियों ने बाजी मारी.
यह कोई एक साल की बात नहीं है, प्राय: हर साल ही परीक्षा परिणामों में लड़कियों के बाजी मारने की खबर इतनी ज्यादा बार सुर्खियां बनती है कि किसी अन्य खबर का शीर्षक इतनी ज्यादा बार छपता तो घिसा-पिटा लगने लगता. लेकिन यह शीर्षक इसलिए घिसा-पिटा नहीं होने पाता क्योंकि लड़कियों के इतनी सफलता हासिल करने के बाद भी समाज में लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव करने की प्रवृत्ति में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है. लड़कियों की सफलता का मूल्य इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अक्सर वे विषम परिस्थितियों के बीच ही इसे हासिल करती हैं.
लड़के-लड़कियों के बीच समानता के नारे तो बहुत लगाए जाते हैं और ऐसा भी नहीं है कि लोगों की मानसिकता बदल नहीं रही है, लेकिन ऐसा बहुत धीमी गति से हो रहा है. जबकि लड़कियां बहुत तीव्र गति से सफलता हासिल करती जा रही हैं, चाहे वह जीवन का कोई भी क्षेत्र हो. महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले सिर्फ एक ही क्षेत्र में पीछे माना जा सकता है और वह है बर्बर पाशविक शक्ति.
हकीकत तो यह है कि अगर महिलाओं के हाथ में दुनिया का नेतृत्व हो तो युद्धों की आशंका बहुत कम हो जाए और हर जगह अमन-चैन होने की संभावना बढ़ जाए. पुरुषों के अहंकार ने दुनिया का बहुत ज्यादा नुकसान किया है. इसलिए महिला शक्ति की हर सफलता को रेखांकित किए जाने की आवश्यकता है ताकि समाज की पुरुषवादी सोच बदले और महिला वर्ग को उसका जायज हक मिल सके.


Rani Sahu

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