सम्पादकीय

महाराष्ट्र: सत्ता से बाहर करने के बावजूद उद्धव को मनाने की कवायद, भागवत-फडणवीस मुलाकात से तेज हुईं राजनीतिक सरगोशियां

Rani Sahu
20 July 2022 5:01 PM GMT
महाराष्ट्र: सत्ता से बाहर करने के बावजूद उद्धव को मनाने की कवायद, भागवत-फडणवीस मुलाकात से तेज हुईं राजनीतिक सरगोशियां
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सत्ता से बाहर करने के बावजूद उद्धव को मनाने की कवायद, भागवत-फडणवीस मुलाकात से तेज हुईं राजनीतिक सरगोशियां

महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों के सहारे बीजेपी ने सरकार तो बना ली है, लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल अब भी जारी है। इसी क्रम में सोमवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर जाकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से बंद कमरे में पौने घंटे तक बातचीत की। हालांकि, इस बातचीत का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन संघ सूत्रों के हवाले से यह खबर चर्चा में है कि भागवत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रति अब भी नरम रूख रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक संघ महाराष्ट्र में होने वाले किसी भी चुनाव में हिंदुओं के वोटों के दोफाड़ को रोका चाहता है। सूत्रों का कहना है कि संघ की राय में ठाकरे की शिवसेना को तोड़ने से हिंदू वोटों का बंटवारा होगा इसीलिए उद्धव ठाकरे को मनाने की कोशिश होनी चाहिए।

पृष्ठभूमि यह है कि शिवसेना के 40 विधायकों ने हिंदुत्व के नाम पर बगावत कर दी थी और एकनाथ शिंदे के साथ अलग गुट बना लिया था। उनके साथ 10 निर्दलीय विधायक भी आ जुड़े थे। इन्हीं के सहारे बीजेपी ने इस गुट के साथ मिलकर सरकार का दावा ठोका और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।
लेकिन जिस हिंदुत्व के नाम पर शिवसेना का बागी धड़ा अलग हुआ, वह बीजेपी के हिंदुत्व से भिन्न है। इस गुट का कहना है कि उनका हिंदुत्व बाल ठाकरे का हिंदुत्व है और गुट ने उन्हीं के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी के साथ सरकार बनाई है।
लेकिन नई सरकार अभी कई कानून अड़चनों का सामना कर रही है। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की मदद से फिलहाल ये अड़चनें शिंदे-बीजेपी सरकार को परेशान नहीं कर रही है।
रोचक यह है कि नई सरकार में बीजेपी के देवेंद्र फडणविस उप मुख्यमंत्री बने हैं। यही प्रस्ताव उद्धव ठाकरे ने 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के सामने रखा था, लेकिन बीजेपी ने इसे मानने से इनकार कर दिया था। मामला फंसने के बाद उद्धव ठाकरे ने शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी का गठन कर गठबंधन की सरकार बनाई थी।
बीजेपी के पहले दिन से यह बात अखर रही थी। अब सरकार में होने के बावजूद राजनीतिक तौर पर जारी उथल-पुथल के बीच फडणविस और मोहन भागवत की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। सोमवार रात करीब सवा 9 बजे फडणविस संघ मुख्यालय में मोहन भागवत से मिले। करीब डेढ़ घंटा चली बैठक में बताया जा रहा है कि चर्चा का केंद्र बिंदु दो प्रकार के हिंदुत्व के नाम पर हिंदू वोटों के बंटवारे को रोकना था। संघ के सूत्रों का कहना है कि भागवत ने चिंता जताई कि अगर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को खत्म करने की कोशिश की गई तो हिंदू वोट बैंक बंट सकता है और आने वाले चुनावों में इका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।
राजनीतिक हलकों में भागवत-फडणविस मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जा रहा है। नागपुर के राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप मैत्रा मानते हैं कि 'एंटी हिंदू लॉबी में उद्धव ठाकरे के शामिल होने से भागवत नाराज थे। फिलहाल उद्धव उस लॉबी से बाहर हैं। इसलिए भागवत उनके प्रति थोड़ा नरम रवैया रख सकते हैं।' मैत्रा इशारा करते हैं कि बागी शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सहारे जहां ठाकरे की शिवसेना को तोड़ने की कोशिश हो रही है, वहीं शिंदे गुट अब भी उद्धव ठाकरे पर कोई निशाना नहीं साध रहा है। हाल में गठित कार्यकारिणी में भी उद्धव ठाकरे को ही प्रमुख माना गया है।
नागपुर के ही राजनीतिक विश्लेषक जोसेफ राव भी कहते हैं कि 'उद्धव ठाकरे बीजेपी से हिंदुत्व को हाइजैक करना चाहते थे जिससे भागवत उनसे खफा थे। लेकिन अब जिस तरह से शिवसेना के एक बड़े गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है उससे भागवत बहुत खुश नहीं हो सकते। क्योंकि, ठाकरे के नाम पर हिंदुओं के वोट बंटने की आशंका कम नहीं हुई है। इससे भागवत भी वाकिफ हैं। यही वजह है कि भागवत और फडणवीस के बीच जो राजनीतिक चर्चा हुई है उसमें हिंदुओं का वोट मुख्य मुद्दा रहा होगा।'
इधर मुंबई के राजनीतिक विश्लेषक अभिमन्यु शितोले का मानना है कि जब उद्धव ने कहा था कि 'शिवसेना का हिंदुत्व चड्डी और जनेऊ धारी नहीं है। तब इसे आरएसएस ने संज्ञान में लिया था और उसके बाद से ही उद्धव के खिलाफ आपरेशन शुरू हुआ था। अब शिंदे बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे ले जाने की बात कह रहे हैं। लेकिन बीजेपी को शिंदे में हिंदुत्व के बजाए मराठा पॉलिटिकल चेहरा दिख रहा है जिसका फायदा बीजेपी 2024 के चुनाव में उठाना चाहती है।' वह कहते हैं कि इधर उद्धव भले ही अभी अपने हिंदुत्व के साथ पार्टी और संगठन को बचाने की स्थिति में दिख रहे हों। पर भागवत और बीजेपी की चिंता है कि अगर उद्धव ने यह बात फैलाई कि बीजेपी ने सत्ता हासिल करने के लिए एक हिंदुत्ववादी पार्टी (शिवसेना) को तोड़ा है तो आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।
सोर्स - नवजीवन फेसबुक


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