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तीन साल के लक्ष्यों के बाद नई दिल्ली वर्ल्ड बुक मेले के 25 फरवरी से शुरू |
तीन साल के लक्ष्यों के बाद नई दिल्ली वर्ल्ड बुक मेले के 25 फरवरी से शुरू होने से पहले ही एक तरह का उत्साह और सोशल मीडिया पर हलचल देखकर सुखद अनुभूति हुई। सूचनाओं के हर प्लेटफॉर्म पर बेड़ियों की तूफानी चर्चा शुरू हो गई, जो अंत तक बनी रही। डिजिटल क्रांति के शोर-शराबे के बीच छपी किताबें बिगुल बजाती दिखती हैं। ऑनलाइन पढ़ने की अभ्यस्त हो चुकी नई पीढ़ी की जुड़ाव और किताबों की बिक्री ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि चाहे लाख तकनीकी माध्यम हम पर हावी हो जाएं, हमारी जीवनशैली का एक अहम हिस्सा हमेशा रहेंगे।
तीस से अधिक देश और लगभग एक हजार प्रकाशकों और प्रयोक्ताओं की भागीदारी के साथ मील में जहां हर उम्र वर्ग के लिए किताबें उपलब्ध थीं, वहीं इसके नियंत्रक राष्ट्रीय बुक ट्रस्ट ने कई तरह के वैज्ञानिक और वित्तीय पैमाने भी आयोजित किए। पूरे समय में किसी न किसी कार्यक्रम का लुत्फ उठाया जा सकता है। मेले का केंद्रीय विषय 'आजादी का अमृत महोत्सव' होने के कारण एनबीटी ने अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों पर किताबें प्रकाशित कर काम किया है। इसके तहत 750 से अधिक शीर्षक सभी प्रमुख भारतीय आकाशगंगा और अंग्रेजी में सबसे पहले प्रदर्शित किए गए हैं।
बुक मेले के आयोजन के 50 साल पूरे हो जाने के बाद इस बात का द्योतक है कि पुस्तकें भी भेजी जाती हैं और पढ़ी भी जाती हैं। इसलिए किताब उद्योग में ऐसी बातें सामने आती हैं कि किताबें बिकती नहीं हैं और प्रकाशक नुकसान में रहते हैं, इस तरह से मील झुठला देते हैं। हालांकि इन दिनों प्रकाशकों द्वारा (बड़े प्रकाशकों की बात छोड़ दें, जो रॉयल्टी भी देते हैं), नंबर लेकर आपस छापने की चिल भी शुरू हो गई है।
लेकिन इस बार मेले में विभिन्न विषयों की किताबों को लेकर आकर्षक युवा वर्ग से मन में आशा जागी है कि स्तरीय लेखन बड़े मात्रा में देखने को मिलेगा और लेखकों को यथोचित सम्मान भी मिलेगा। मेले में उपस्थित लोगों से, छोड़कर युवाओं से बात करने पर यह एहसास जरूर हुआ कि ई-बुक का एक समय में जिस तरह से स्वागत किया गया था, उसे देखकर किताबों को न लेने की आशंका पैदा होना स्वाभाविक ही था, पर आज वह मिथक टूट गया चुकाया है।
साल 2020 के लॉकडाउन के दौरान ब्रिटेन में ई-बुक की बिक्री में 24 प्रतिशत और ऑडियो बुक की बिक्री में भी अच्छा खासा देखा गया, लेकिन 2021 में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे तकनीकी दृष्टि से विकसित देशों में पेपरी किताबों की बिक्री ने सभी तरह के के तकनीकी जालीदारों में बिकीवालों से न सिर्फ रास्ते मार ली, बल्कि शीर्ष पर काबिज हो गए हैं। छपे हुए पन्नों की तरफ बढ़ता प्रदूषण भारत में भी साफ दिख रहा है।
इस बार हाल में छपी और कुछ समय पहले छपी किताबों का विमोचन, प्रकाशक के स्टॉल के सामने खड़ी होकर किताब हाथ में ले फोटो खिंचवाने का चलन भी खूब देखने को मिला। मेले में एक होड़-सी दिखा लेखकों के बीच, जिसकी झलक सोशल मीडिया पर लगातार देखने को मिली। उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक मेले में सबसे ज्यादा क्रेज नए और युवाओं को लेकर देखने को मिला। उनकी हस्ताक्षर की गई पुस्तकें बिर्च बिकीं, जो उत्साहजनक है।
नई पीढ़ी के लेखकों को लेकर लेखक अपने लेखों के बीच मिले। लोग उनके साथ फोटो ले रहे थे, उनकी टिप्पणियों पर करवाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। युवा पीढ़ी के अंदर छपी हुई किताबों का जो रोमांच देखने को मिला है, उससे हिंदी भाषा की किताबों को छोड़कर, उम्मीद है कि जगती है कि किताबों से भी उनके रिश्ते वैसे ही रहेंगे, जैसी पुरानी पीढ़ी का हो रहा है। धार्मिक पुस्तकों के स्टॉल समर्थकों का ध्यान खींच रहे थे और कई प्रकाशक अपने धर्म का प्रचार करने के लिए मुफ्त में पुस्तकें जारी करते हुए आते हैं।
वे अनुरोध करते हैं कि लोग उन पुस्तकों को देखें। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विश्व पुस्तक मेला अब केवल किताबों की खरीद-बिक्री, गोष्ठियों, लेखों एवं लेखों का मिलन स्थल ही नहीं रहा, बल्कि धर्म के प्रचार का केंद्र भी बन गया है। पुस्तक मेले में बाल लेखों के पठन-पाठन के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध हो रही है और माता-पिता अपने बच्चों के साथ बड़े उत्साह के साथ बाल साहित्य की खरीदारी करते हैं। बाल साहित्य को बड़े पैमाने पर पहुंचाने में पुस्तक मेले का उल्लेखनीय योगदान रहेगा, इसे लेकर कई क्रम में काम किया जा सकता है। ऐसी घटनाओं में विभिन्न भारतीय आकाशगंगाओं को बढ़ावा देने के अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। इसका विवरण का विस्तार होगा।
पुस्तक मेले तक लेख पहुंचने का एक अक्षर माध्यम होने के साथ-साथ लेखकों को मंच बनाए जाने का भी जरिया होते हैं, ताकि वे एक साथ संप्रेषण करने के साथ लेखों से भी संवाद बना सकें। तीन साल बाद लगे इस मेले से उम्मीदें कहीं ज्यादा थीं और किताबों की अच्छी बिक्री की स्थापन भी हुई थी, जो पूरी होती दिखी। आशा है कि शब्दों का यह महाकुंभ अगली बार और व्यापक रूप से आयोजित होगा।
सोर्स: prabhatkhabar
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