सम्पादकीय

स्वच्छता में मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम: 25 शहर देश के 100 सबसे साफ शहरों में शामिल, 5 साल से लगातार टॉप पर इंदौर

Gulabi
22 Nov 2021 4:58 PM GMT
स्वच्छता में मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम: 25 शहर देश के 100 सबसे साफ शहरों में शामिल, 5 साल से लगातार टॉप पर इंदौर
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स्वच्छता में मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम
भारतीय संस्कृति में स्वच्छता का बहुत महत्व रहा है। आंतरिक शुचिता के साथ ही बाह्य स्वच्छता हमारी जीवन शैली का अभिन्न अंग माना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारे देश ने वर्ष 2014 में स्वच्छता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया और 'स्वच्छ भारत मिशन' के रूप में विश्व के सबसे बड़े जन आंदोलन की शुरुआत हुई। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के सहयोग से कार्यान्वित किए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन - शहरी ने पिछले 7 वर्षों में बहु-आयामी उपलब्धियां हासिल की हैं।
आज शहरी भारत 100% खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। साथ ही, सॉलिड वेस्ट के निस्तारण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। जहां 2014 में प्रतिदिन केवल 26,000 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन होता था, वह आज बढ़कर 1 लाख मैट्रिक टन प्रतिदिन हो गया है। स्वच्छता का विषय हर नागरिक के जीवन से सीधा जुड़ा हुआ है। लोगों के दृष्टिकोण में स्वच्छता के प्रति आए सकारात्मक बदलाव का परिणाम साफ सड़कों व अन्य सार्वजनिक स्थानों के साफ-सुथरे रूप में देखा जा सकता है।
1 अक्टूबर 2021 को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का शुभारंभ हुआ
मिशन के प्रयासों से नागरिकों के जीवन स्तर, स्वास्थ्यगत और पर्यावरणीय परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है। देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ को 'आजादी के अमृत महोत्सव' के रूप में मना रहा है। मिशन के इन्हीं प्रयासों को और गति देने और स्वच्छता के क्षेत्र में देश को विश्व के अग्रणी देशों के स्तर तक लाने के लिए ही प्रधानमंत्री ने 1 अक्टूबर 2021 को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का शुभारंभ किया है। इस पर 1,41,600 करोड़ रुपए व्यय होने का अनुमान है जिसमें भारत सरकार का हिस्सा 36,456 करोड़ रुपए होगा।
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत के आह्वान से प्रेरित होकर मध्य प्रदेश सरकार ने इस आंदोलन को गंभीरता से संकल्प के रूप में अपनाया और इसमें जनता की भागीदारी सुनिश्चित की। जनता के इस सक्रिय सहयोग के परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश स्वच्छता के परिवेश में आज देश के अग्रणी प्रदेशों में से एक है। मध्य प्रदेश के सभी 383 नगर निकाय खुले में शौच मुक्त हैं, वहीं 296 नगर निकायों में मल निस्तारण की समुचित व्यवस्था है। प्रदेश में अब तक 5.75 लाख परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा, प्रदेश के शहरी क्षेत्र में 20,000 से अधिक सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कर शहरों में आने वाली जनसंख्या को स्वच्छ शौच सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
सॉलिड वेस्ट के निस्तारण में भी मध्यप्रदेश आगे
सॉलिड वेस्ट के निस्तारण में भी मध्य प्रदेश एक अग्रणी राज्य है। प्रदेश के 27 शहरों को कचरा मुक्त प्रमाणित किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता में शहरों के बीच स्वच्छता की अवधारणा के प्रति स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की अहम भूमिका रही है। स्वच्छता की यह प्रतिस्पर्धा 'स्वच्छ सर्वेक्षण' के रूप में 2016 से शुरू हुई। इस सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश ने 2016 से 2021 तक स्वच्छता के क्षेत्र में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रदेश के नागरिकों ने इस प्रक्रिया को अपने अभिमान के रूप में आत्मसात किया है। इस पूरी प्रक्रिया में मध्य प्रदेश के नागरिकों ने जिस उत्साह के साथ भागीदारी की है, वह देश के सामने एक उदाहरण बनकर उभरा है।
5 वर्षों में प्रदेश के इंदौर शहर ने स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। आज इंदौर देश का ऐसा पहला शहर है जहां लोग अपने घर के कूड़े को दो नहीं बल्कि छह भागों में अलग-अलग करते हैं जिससे इसकी निष्पादन लागत में काफी कमी आई है। उनका यह प्रयास वेस्ट टू वेल्थ की परिकल्पना को साकार करता है। इंदौर में देश का सबसे बड़ा बायो-मिथेनेशन प्लांट स्थापित किया जा रहा है जिसमें प्रतिदिन 500 टन गीले कूड़े का निस्तारण किया जाएगा।
साथ ही सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए 300 टन प्रतिदिन की क्षमता वाली मेटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) लगी है जो सैकड़ों लोगों के लिये सम्मानजनक जीविका का साधन है। यह फैसिलिटी कूड़े के निस्तारण के साथ साथ नगर निगम की आय का एक स्रोत भी है। इन प्रयासों के चलते ही इंदौर आज डस्ट्-फ्री एवं बिन-फ्री शहर बन गया है। इन्हीं मानकों के आधार पर गारबेज फ्री सिटी रेटिंग में भी इंदौर फाइव-स्टार शहर बना है।
इंदौर देश का पहला वॉटर-प्लस शहर
इंदौर देश का पहला वॉटर-प्लस शहर भी बना है। वॉटर-प्लस श्रेणी के अंतर्गत घरों से निकलने वाले गंदे पानी को नदी या तालाबों में जाने से पूर्व ट्रीट किया जाता है जिससे पानी के अन्य स्रोत जल प्रदूषण से मुक्त होते हैं। साथ ही, इस पानी का पुनः उपयोग किया जाता है। इंदौर ने जन भागीदारी के माध्यम से अपने शहर की जीवन-रेखा कही जाने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों को नया जीवन प्रदान किया है। कभी गंदगी से भरी इन नदियों में आज बहती जल की अविरल धारा में मछलियां तैरती देखी जा सकती हैं। गंदगी दूर होने से शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कभी कूड़े का पहाड़ रहा इंदौर की देवगुराडिय़ा लैंड फिल साइट, आज एक हरित क्षेत्र बनकर न सिर्फ पर्यटकों को लुभा रहा है बल्कि समस्त शहरवासियों को साफ हवा भी प्रदान कर रहा है।
शहर के सबसे पुराने बाजार को सिर्फ 56 दिनों के अंदर व्यापारियों के सहयोग से एक स्मार्ट फूड कोर्ट में परिवर्तित कर दिया गया है। इंदौर की यह सफलता सिर्फ शहर अथवा प्रदेश तक सीमित न होकर आज पूरे देश के स्वच्छता परिदृश्य को प्रभावित कर रही है। देश के सभी छोटे बड़े शहर, आज इंदौर के स्वच्छता मॉडल को अपनाना चाहते हैं। मध्य प्रदेश में सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि उज्जैन, ग्वालियर, सागर, बुरहानपुर, खंडवा, सिंगरौली, भोपाल, धार, मुंडी, छिंदवाड़ा आदि शहरों में भी स्वच्छता को प्रमुखता दी गई है।
MP के 4 शहर पहले 20 स्वच्छ शहरों में शामिल
10 लाख से अधिक आबादी वाले मध्यप्रदेश के चारों शहर पहले 20 स्वच्छ शहर में शामिल हैं। 1 लाख से 10 लाख आबादी वाले मध्य प्रदेश के 25 शहर देश के 100 सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल हैं। वर्ष 2020 के बाद 2021 में भी भोपाल को सर्वोत्तम सेल्फ सस्टेनेबल राजधानी के रूप में पुरस्कृत किया गया है। प्रदेश में स्वच्छता के इन प्रयासों के मूल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है। उनके मार्गदर्शन में जनप्रतिनिधियों, सफाईकर्मियों, अशासकीय संगठनों और आम नागरिकों ने परस्पर सहयोग व सहभागिता का एक अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया है।
स्वच्छ भारत मिशन- शहरी सरकार का मात्र एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है। स्वच्छता की दिशा में प्रदेश के नागरिक और अन्य हित धारकों के सामूहिक प्रयासों से मध्य प्रदेश स्वच्छ, स्वस्थ व समृद्ध प्रदेश के रूप में उभरा है। मेरा विश्वास है कि मध्य प्रदेश अपने इन प्रयासों को स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 के तहत स्वच्छतम मध्य प्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त कर सफलता के नए आयामों को हासिल करने में सफल रहेगा।

दुर्गा शंकर मिश्र, सचिव, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।


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