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- मशीन का जीवन

Written by जनसत्ता: वर्तमान युग सुविधाओं से भरा युग बन गया है। आज हर स्थान पर मशीन से लैस वस्तुओं की मांग इतनी बढ़ गई है कि लोगों ने हर छोटे से लेकर बड़े कार्यों में अपने शारीरिक बल का प्रयोग करना बंद कर दिया है। एक समय था जब लोग अलग-अलग पर्व पर साज-सज्जा की वस्तुएं तथा मिठाइयां बड़े शौक से अपने हाथों से बनाया करते थे, लेकिन आलस्य में आकर तथा नुमाइशी में लोग दुकानों से इनका क्रय करने लग गए।
अन्य दिनों में भी लोग अपनी आवश्यकताओं की वस्तुओं का निर्माण स्वयं करते थे, जिससे लोगों की कसरत इन कार्यों को करने से हो जाती थी और लोगों की जीवन प्रत्याशा भी अधिक थी। मशीनीकरण को घरेलू कार्यों में इसलिए लाया गया था, ताकि घरेलू कार्यों की वजह से अन्य कार्यों में देरी न हो, पर मनुष्य ने मशीन को अपनी दैनिक आवश्यकता बना लिया है, जिससे मानव समाज कई बीमारियों का शिकार हो गया है। साथ ही जीवन प्रत्याशा में भी कटौती हो गई है। मनुष्य को अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर जितना हो मशीन के प्रयोग से बचना चाहिए और बहुत ज्यादा आवश्यकता होने पर ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
कांग्रेस ने आने वाले अक्तूबर माह में अपनी पार्टी के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने की संभावना व्यक्त की है। एक राष्ट्रीय पार्टी, जिसकी एक समय में लगभग सभी राज्यों में सरकार रही हो, उसका वर्तमान में अध्यक्ष नहीं होना एक सवाल की तरह है। लेकिन अभी से पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के पक्ष में बयानबाजी करने लगे हैं। सवाल है कि अगर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाना ही था, तो इतना समय बर्बाद क्यों किया गया!
आज कांग्रेस अपने बुरे दौर से गुजर रही है और इसकी वजह खुद कांग्रेस नेतृत्व है। हार व जीत जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, पर संघर्ष से भागना खुद को व संगठन को कमजोर बनाता है। केवल अपने पूर्वजों का गुणगान कर कोई भी पार्टी देश पर हमेशा राज नहीं कर सकती। ऐसे तो कितने ही राजा-महाराजाओं के वंशज आज निर्धनता की जिंदगी जी रहे हैं। आज कांग्रेस इतनी कमजोर हो गई है कि जरा-सी ठोकर से भी वह टूट जाती है। इसके बाद भी कांग्रेस दिग्भ्रमित लगती है। ऐसे में एक गतिशील व जुझारू अध्यक्ष ही कांग्रेस की डूबती नैया को पार कर सकता है।