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- शिक्षक होना सौभाग्य की...
भारतीय दर्शन तथा ज्ञान जगत में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश की उपमा से संबोधित किया गया है। गुरु सृजनकर्ता है इसलिए उसे ब्रह्मा, पालनकर्ता है इसलिए विष्णु, सृजन एवं विध्वंसकर्ता है इसलिए उसे देवादि देव महेश की उपमा से अलंकृत, सुशोभित तथा संबोधित किया गया है। इस पूर्ण ब्रह्मांड में गुरु ज्ञान वाहक है। प्रत्येक सफल व्यक्ति चाहे वो किसी भी पद व स्थान पर सुशोभित हो, उसके पीछे गुरु की ही कृपा रहती है। शिक्षक का कार्य कल्याणकारी होता है। वह मानवीय निर्माण में सृजनात्मक भूमिका निभाता है। वह मानवीय जीवन को ज्ञान से सिंचित कर जीने योग्य बनाता है, इसलिए शिक्षकों को अपने चरित्र, सुव्यवहार, सुआचरण तथा व्यवसाय के सही अर्थों को समझते हुए अपने आपको गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। वर्तमान भौतिकवाद की चकाचौंध में शिक्षकों से समाज की अपेक्षाएं बढ़ी हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मानवीय मूल्यों में शिथिलता आई है। सिद्धांतों तथा उद्देश्यों के मानकों में गिरावट आई है।