सम्पादकीय

अपने में खोये युवा!

Subhi
12 April 2021 1:52 AM GMT
अपने में खोये युवा!
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जापान के युवा आज दुनिया, यहां तक कि अपने भी समाज की ज्यादा चिंता नहीं करते।

NI एडिटोरियल: जापान के युवा आज दुनिया, यहां तक कि अपने भी समाज की ज्यादा चिंता नहीं करते। एक हालिया अध्ययन में देखा गया कि आज का जापानी युवा बहुत ही गैर राजनीतिक सोच वाला है। जब तक उसका मोबाइल फोन काम कर रहा हो, वह तब तक खुश रहता है। इससे आगे की उसे चिंता नहीं होती। ये नौजवान जापान की बदलती राजनीति पर कोई राय नहीं रखते। विरोध प्रदर्शनों में उसे कोई लाभ नहीं दिखता। यानी कुल मिला कर उसकी दुनिया बहुत सिमट चुकी है। जापान के क्योटो स्थित रित्सुमिकान विश्वविद्यालय में हुए एक शोध का यही नतीजा है। इसके मुताबिक जापानी युवाओं में सामाजिक आंदोलनों के प्रति दिलचस्पी अन्य देशों के मुकाबले काफी घट चुकी है। आज महज 20 फीसद युवा जापानी ही मानते हैं कि वे समाज में कोई बदलाव ला सकते हैं। विश्वविद्याल के शोधकर्ताओं की तरफ से इस संबंध में नौ देशों में सर्वेक्षण कराया गया। उनमें चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन शामिल हैं। उनके बीच राजनीति में सबसे कम दिलचस्पी जापानी युवा में ही दिखी।

शोधकर्ताओं ने बताया है बकि 1960 और 1970 के दशक में हुए जापान में राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में युवाओं की बड़ी भागीदारी होती थी। लेकिन आज सिर्फ 10 फीसदी युवा ही उन प्रदर्शनों के बारे में सकारात्मक राय रखते हैं। वैसे शोधकर्ता यह नहीं मानते की तमाम जापानी नौजवानों की आज राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह जरूर है कि तकनीकी विकास की वजह से वो अपना विरोध प्रदर्शन अब सोशल मीडिया के माध्यम से दर्ज कराते हैं। यानी ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जो राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर ऑनलाइन विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सा लेते हैं। दरअसल, आज के नौजवानों की पहली चिंता अपने रोजगार को लेकर है। बढ़ते प्रतिस्पर्धी बाजार के लायक योग्यता प्राप्त करना उनकी प्राथमिकता है। बदली संस्कृति के बीच हर व्यक्ति कुछ अधिक पाने की कोशिश में लगा हुआ है। विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के दौरान युवा पार्ट टाइम नौकरी कर लेते हैं। ऐसे में उनके पास विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का समय ही नहीं होता। यानी जापानी युवा आज अपनी ही दुनिया में उलझा हुआ है और वो सिर्फ उन मुद्दों के बारे में सोचता है कि जो उसे सीधे प्रभावित कर रहे हों। कमोबेस यह आज पूरी दुनिया की कहानी है। इसलिए समाजशास्त्री इसके संभावित सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों का अब अध्ययन कर रहे हैं।

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