सम्पादकीय

हारती जिंदगियां

Rani Sahu
5 Aug 2022 6:57 PM GMT
हारती जिंदगियां
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कई बार तो सांसें भी छिन जाती हैं। ऐसी ही घटना अभी हाल ही में हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में अमरोली के समीप गोविंद सागर झील में उस समय मातम सा छा गया जब वहां पर एक के बाद एक सात लाशें निकाली गईं। किसी को क्या मालूम था कि छोटी सी गलती इन्हें इतनी महंगी पड़ सकती है। जिंदगी पानी में ही समा जाएगी। 15 से 32 वर्ष की आयु के युवा इस संसार को चंद मिनटों में अलविदा कह गए, लेकिन इस हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया है। कई घरों में एक साथ मातम छा गया। किसी का भाई, किसी का पुत्र, तो कहीं दो बहनों का इकलौता भाई 15 वर्षीय शिवा भी इस हादसे का शिकार हुआ जिसे बहनें राखी बांधने की तैयारी कर रही थीं। वहीं इस हादसे में मृतक पवन कुमार जिसके घर अभी 2 महीने पहले ही बेटे का जन्म हुआ था कि अभी बेटे के मुंह से पापा शब्द ही नहीं सुना होगा, इस संसार को छोडक़र चला गया। बहुत ही गमगीन करने वाली बात यह कि अति निर्धन राजू की परिवार में पांचवीं संतान विशाल था जो भी इस दुनिया को अलविदा कह के चला गया।
इस हादसे में किसी सगे भाई अपने को खो दिया है जिसके कारण परिवार के सभी सदस्य सदमे में चले गए हैं। हिमाचल प्रदेश में बरसात के दिनों में नदी-नालों में पूरी तरह से उफान निकल कर आता है लेकिन बिगड़ैल युवा इस पानी के भाव को नहीं समझ पाते हैं और अपनी जिंदगी समाप्त कर देते हैं। इस देवभूमि में यह कोई पहला हादसा नहीं हुआ है। इस झील में इससे पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। यही नहीं हिमाचल प्रदेश में जिला मंडी में कुछ वर्ष पहले हैदराबाद इंस्टीट्यूट के छात्र घूमने मनाली जा रहे थे। वे भी पानी के भाव को न समझ कर सेल्फी लेते हुए पानी के आगोश में 25 जिंदगी में समा गई थी। हिमाचल प्रदेश में चाहे मनाली हो, कुल्लू हो, मणिकरण हो, चंबा हो या गोविंद सागर झील हो या अन्य नदी नालों का कोई स्वरूप हो, सरकार को इस समय कड़े तेवर दिखाने होंगे और जहां पर भी संभव हो ऐसे स्थानों को चिन्हित करके नहाने के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। इस हादसे के शिकार हुए लोगों की जान जाने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों, चाहे इन जिंदगी को बचाने का दोस्तों ने प्रयास किया हो, लेकिन निकट भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए जरूरी है कि प्रदेश सरकार और प्रशासन को कड़े तेवर दिखाकर नए प्रतिबंध जो हैं, वह लगाने होंगे। जहां प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी बनती है, वहीं हमारे समाज की भी जिम्मेदारी बनती है।
प्रो. मनोज डोगरा
लेखक हमीरपुर से हैं

By: divyahimachal

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