सम्पादकीय

बिजनेस संभावनाएं देखते हुए क्या बदल गई है भारतीय राजनीति?

Gulabi
28 Jan 2022 8:07 AM GMT
बिजनेस संभावनाएं देखते हुए क्या बदल गई है भारतीय राजनीति?
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उनके ट्वीट के कुछ दिनों के भीतर ही भारत के विभिन्न राज्यों के मंत्रियों ने ट्विटर पर मस्क को प्रस्ताव दिए
चेतन भगत का कॉलम:
एलन मस्क, दुनिया के सबसे अमीर आदमी हैं, टेस्ला मोटर्स समेत कई कंपनियों के सीईओ हैं। ट्विटर पर भी सक्रिय मस्क, वहां अपनी राय रखने से नहीं कतराते। हाल ही में 13 जनवरी 2022 को उन्होंने ट्विटर पर एक यूजर की जिज्ञासा का जवाब दिया, जिसमें उसने पूछा था कि भारत में अब तक टेस्ला क्यों नहीं है। मस्क ने कहा, 'सरकारी स्तर पर बहुत सारी चुनौतियों पर बात चल रही है।'
उनके ट्वीट के कुछ दिनों के भीतर ही भारत के विभिन्न राज्यों के मंत्रियों ने ट्विटर पर मस्क को प्रस्ताव दिए। पहली कोशिश तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव की ओर से हुई, उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं भारत में तेलंगाना का उद्योग-वाणिज्य मंत्री हूं। भारत/ तेलंगाना में टेस्ला को शुरू करने में आ रही परेशानियों को दूर करते हुए टेस्ला के साथ साझेदारी करने में हमें खुशी होगी...' दूसरे थे पश्चिम बंगाल के मंत्री मो. गुलाम रब्बानी, जिन्होंने लिखा, 'पश्चिम बंगाल में सबसे अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है हमारी नेता ममता बनर्जी का वह विज़न है।'
साफ है कि बंगाल की सरकार 2001 से काफी आगे आ चुकी है, जब टाटा मोटर्स को सिंगूर से नैनो कार प्रोजेक्ट ले जाना पड़ा था। एक दिन बाद महाराष्ट्र के जल संसाधन राज्य मंत्री जयंत पाटिल ने इसी आशय का ट्वीट किया। उसी दिन नवजोत सिंह सिद्धू ने भी ट्वीट किया। टेस्ला को भारत लाने के लिए चंद ट्वीट से आगे भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इलेक्ट्रिक कार कंपनी यहां बिजनेस शुरू करे, उससे पहले उत्पाद शुल्क, कर, विनिर्माण, रेगुलेशन, टैक्स, बैटरी रीचार्ज का नेटवर्क जैसे ढेर सारे मुद्दे हैं।
इनमें से अधिकांश मुद्दे केंद्र के स्तर पर ठीक होंगे। हो सकता है कि भारत आना अभी टेस्ला की रणनीति भी ना हो। टेस्ला कारें महंगी हैं, जिनकी मांग यहां सीमित होगी। टेस्ला की एक प्रमुख विशेषता, ऑटो ड्राइविंग फीचर शायद भारत में उपयोग करना चुनौतीपूर्ण है। ये उबाऊ सच्चाइयां शायद बेहतर बता सकें कि क्यों टेस्ला अभी तक भारत में नहीं है। (तय है कि एक दिन यह भारत में जरूर होगी।) हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि एक निजी विदेशी कंपनी का विदेशी सीईओ अब राजनीतिक रूप से अछूता नहीं रह गया है।
इसके ठीक उलट, राजनेता प्रमुख वैश्विक सीईओ के साथ जुड़ते हुए, उन्हें स्थानीय स्तर पर अपना काम शुरू करने, निवेश करने और रोजगार पैदा करने के लिए आमंत्रित करते हुए दिख रहे हैं, ये राजनेताओं के लिहाज से सकारात्मक है। नहीं तो विभिन्न पार्टियों-राजनीतिक विचारधारा के मंत्री सार्वजनिक रूप से मस्क को ट्वीट क्यों करते? यह बदलाव भले ही व्यापक न हो, लेकिन क्या इसे भारतीय राजनीति का निजी और विदेशी उद्यमियों की ओर महत्वपूर्ण झुकाव कहेंगे? क्या विदेशी निवेशकों को बुरा समझने की परिपाटी अब बदल गई है?
उम्मीद तो है। चार साल पहले भी मई 2018 में एलन मस्क ने टेस्ला से जुड़ा ट्वीट किया था। उस समय राज्यों के किसी भी मंत्री ने इस तरह प्रस्ताव नहीं दिया था। कई राज्यों के इस तरह प्रयासों से लगता है कि कुछ तो भारत के लिए फायदेमंद होगा- सकारात्मक, प्रतिस्पर्धी संघवाद। देश के विभिन्न राज्यों को ज्यादा बिजनेस फ्रेंडली होने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। यह पूर देश मेंे व्यापार का माहौल ऊपर उठाएगा और दुनिया के लिए भारत एक बेहतर विनिर्माण गंतव्य बन सकेगा।
चीन की संदिग्ध कोविड-जीरो नीतियों के कारण मालभाड़े से जुड़ी गंभीर समस्याएं हैं। कोविड के प्रतिबंध और बार-बार के लॉकडाउन से चीनी फैक्ट्रीज़ से गंतव्य तक माल पहुंचने में महीनों लग रहे हैं। यह भारत के लिए स्वर्णिम और सदियों में एक बार आने वाला मौका है कि खुद को विनिर्माण का हब दिखाने के लिए वह जल्द से जल्द कदम उठाए।
सीमा शुल्क, टोल, बंदरगाह, कर रिटर्न, जीएसटी फाइलिंग, लाइसेंस, भूमि अधिग्रहण और श्रम कानूनों जैसे हर मुद्दे को विश्व स्तरीय और निर्बाध बनाना होगा, ताकि वैश्विक रूप से मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत की ओर रुख हो। कोविड ने भारत को एक वैकल्पिक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने का अवसर प्रदान किया है।
इस नई भारतीय जन भावना का लाभ उठाते हुए हम अधिक समृद्ध बन सकते हैं, जिसमें लोगों को लगने लगा है कि राजनेताओं का वैश्विक रूप से अग्रणी कंपनियों के साथ जुड़ना अच्छा है। हो सकता है कि एलन का ट्वीट और उसके बाद आने वाला आमंत्रण वास्तव में भारत के लिए बदलते समय का संकेत हो।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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