सम्पादकीय

पाखंड कायम रहे!

Rani Sahu
24 July 2023 7:00 PM GMT
पाखंड कायम रहे!
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मैं अखण्ड पाखण्ड बोल रहा हूँ। यूँ तो मेरा साम्राज्य हर युग में आर्यावर्त के पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक हमेशा क़ायम रहा है। पर मेरी चाँदी कभी ऐसी न थी। अगर मैं अखण्ड नहीं होता तो हज़ारों साल पहले सनातन धर्मी भूमि पर दूसरे पंथों का उदय कैसे होता। कलि अर्थात् कलह मेरा स्वामी है। पर विगत में मेरा इतना बोलबाला नहीं था। मैं था, पर कुछ ही लोगों के सिर पर चढ़ कर बोलता था। वजह हर युग में पाखंड बढऩे पर परिदृश्य पर कोई ऐसा व्यक्ति सामने आता था जिसे मानवीय मूल्यों, मर्यादाओं, देश और समाज की एकता एवम् अखण्डता को बनाए रखने में निभाई गई भूमिका के मद्देनजऱ कालान्तर में इतिहास अवतार की संज्ञा प्रदान करता था। पर जब से वर्तमान में पाखंडियों और सोए हुए समाज ने एक व्यक्ति को विष्णु के सिंहावतार की संज्ञा प्रदान की है, मेरा काम बेहद आसान हो गया है। राजा परीक्षित ने कलि को निवास के लिए जो पाँच स्थान प्रदान किये थे, उनमें जुआ, जीव हिंसा, वेश्यागमन, मांस-मदिरा सेवन तथा स्वर्ण शामिल हैं। आज ड्रीम इलेवन, रमी, पबजी जैसे दसियों जुए के खेल घरों में खेले जा रहे हैं।
ऐसे में कलि केवल इक्का-दुक्का घरों ही नहीं, समाज में भी उतर आया है। यकीन न हो तो सीमा हैदर को देख लीजिए जो पबजी खेलते हुए तमाम देशीय, लोक-लाज, मूल्यों और मर्यादाओं की सीमाओं को तोड़ते हुए अपने आशिक के लिए बतौर बोनस चार बच्चों सहित दूसरे देश से अवतरित हो चुकी है। उसे लेकर मीडियाई गटरकार समाज में मनचाहा रायता फैला रहे हैं। बुद्धिपूर्वक हिंसा किए जाने से प्रतिहिंसा पैदा होती है और पाप बढ़ता है। अत: चुनाव जीतने के लिए जो किया जाता है, उसके चलते घर ढूँढऩे के लिए मुझे भटकना नहीं पड़ता। वेश्यागमन अब ऑनलाईन उपलब्ध है। अस्सी प्रतिशत माँसभक्षी देश की आबादी जब दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को नवरात्रि के दौरान माँस बेचने से रोकती है और मदिरा को बढ़ावा देने के लिए सरकारें ख़ुद ही कमरतोड़ मेहनत करती हैं तो कलि के निवास की स्थाई व्यवस्था हो जाती है। स्वर्ण का दूसरा नाम सोना है। सोया हुआ देश अब सोने की चिडिय़ा हो या न हो, उसके सोने में कमी नहीं। कौरवों में दुर्योधन को कलि का अवतार माना जाता था। पता नहीं धृतराष्ट्र क्यों छूट गए। अब तो एक ही व्यक्ति में दुर्योधन और धृतराष्ट्र दोनों मौजूद हैं। एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हो चुके मणिपुर में महिलाओं की अस्मिता को तार-तार कर देने वाली घटना के उन्यासिवें दिन बाद छप्पन इंची चमड़े की आँख को फाडक़र निकले मगरमच्छी आँसू जब उसे जायज़ ठहराने के लिए दूसरे राज्यों से तुलना करने लगें तो अखण्ड पाखंड अपने चरमोत्कर्ष पर होता है।
किसी नटी को मंत्री बनाए जाने के बाद जब वह समाज और देश सेवा के वास्तविक जीवन में भी अपना धारावाहिकी अभिनय करते हुए नजऱ आए, किसी तड़ीपार को राज्य संभालने की जि़म्मेवारी दी जाए या चापलूसों को उच्च पदों पर नियुक्तियाँ दी जाएं तो कलि को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। कहते हैं यथा राजा तथा प्रजा। जब राजा में दुर्योधन और धृतराष्ट्र दोनों मौजूद हों और प्रजा उसे विष्णु का अवतार मानती हो, ऐसे में कलि को और कहीं जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। हिटलर के प्रचार मंत्री जोसेफ़ गोयबल्स को प्रोपेगेंडा का पर्याय माना जाता है। एक बार उसने कहा था, ‘प्रोपेगेंडा का काम अक्लमंद होना नहीं, मनचाहा परिणाम हासिल करना है।’ पर जब देश का प्रधानमंत्री ही प्रचार मंत्री बन जाए तो सत्ता का दलदली होना लाजि़मी है। चालाक राजनेता कभी स्वयं दलदल में नहीं उतरते। कीचड़ में लोटने का काम अंधभक्तों के सुपुर्द होता है। सभी अंधभक्त शूकर की तरह दलदल में लोटते हुए सत्ता का मल खाने में मस्त हैं। देशभक्ति का अभिनय करते हुए राजनेता उन्हें कुत्तों की तरह हाँक रहे हैं और सभी एकस्वर में उनकी सत्ता बनाए रखने के लिए भौंक रहे हैं। पर उन्हें पता नहीं कि धोखेबाज आशिक के इश्क में घर से भागी माशूक को ताउम्र कोठे पर बैठना पड़ता है।
पीए सिद्धार्थ
स्वतंत्र लेखक

By: divyahimachal

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